अश्क की श्रेष्ठ कहानियाँ | Ashk Ki Shresth Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.65 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हा
न जा हनन कि न ना
कस तलाक
१” मिरीह 1 कया मासूम कि बहू एक
दन्त सापनहीन गरीदर्मददूर की बेटी । है; जिसे लिए श्रीदना तो
7 रही; डाची बी कहूरनी करना मी भ्पराध है रसी * हंसी हसकर
डर ने उसे भ्पनी गोद में से. लिया भोर प्वोस!, 7 रज्डो, दू तो
दी है से सामी । उस दिन समझी र-सास प्रपनी साहनी
झपनी छोटी लड़की को शपने मांगे मशदूर
में के लिए इसी काद में भाये' ये । तभी 'रशिया के मन में
ची पर सवार होने की प्रबल माकाक्षा पदा हो उठी थी शोर उसी
इन से घ(कर दी रही-सही सुर्ती भी दूर हो गई थी ।
उसने रशिया को टाल तो दिया था, पर सम-ही-सड उमने प्रतिज्ञा
र ली थी हि वह भ्रवदप रशिया के लिए शक ' है।ची मोल
तेगा । उसी इलाके में, जहाँ उप्तकी भ्राय की प्रोसत भास-भर मैं तीन
पाने रोजाना भी न होती थी, धव श्राथ-दस घानि की हो गई । दूए+
दूर के गाँवों में झव वह मजदूरी करता । सटाई के दिनों मे बह दिन
रात काम करता--फंसल काटना, दाने निवयलता, खालेहागो में प्रलाज
भरता, नीरा डालकर भूसे के कुप बनाता ! बहू विजाई के दिनों मैं हत
चलाना, बयारियीँ बनाता, दिजाई करता । उन दिनों उसे पाँच अ्राते
से लेकर झाठ झानि रोदाना तक मजदूरी मिल जाती । जबं कोई वाम
न हीना सो प्रात: उठकर झाठ कोस वौ मजिल मारकर मंडी जा
पहुंचता भौर झाठ-देस घाति की सयंदूरी करके ही घर लोटता । उन
दिनों बह रोज छा झाना दचासा था रहा था । इस मियम में उसने
तरह की ढील ने होने दी थी । उसे जेसे उन्माद-सा हो गया था ।
बहने कहती, “वाऊर, श्र तो सुम बिसकुल ही बदल गए हो, पहले दो
तुमने कमी ऐसी मेहनत से की थी ।”” का
' बाकर हसता श्रोर/कहूता, “तुम घाहली हो, में उमर-भर मिंठल्ला
दनारहूं १ धर के
: बहन कहती, 'निटलता चनते को: तो मैं नट्टी कहती, पर सेहत गवां-
करें-रुपयी जेगा की सलाह नमी मै नहीं।दे सकती /” , +
डे
नहला नी
न
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