अनमोल गाथाएं | Anmol Gathayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६१
जाकर दगे यान्त हुए । उन््टी दिनो महात्मा गाधघीजी मे सबको
प्रहिसा का उपदेश दिया | वे कहा करते थे, 'राम-रहीम, एक
है इगीलिए वे ब्पने कीत॑न में भी यही गाया करते घे--
ईज्वए अल्लाह तेरा नाम,
सव को सन्मति दे भगवान् ।
दिः्ली के विरला भवनमे गाधीजी प्रात सन्ध्या यही उप-
देय लोगो फो दिया करतेये। वहूतसे लोयौकोउनवा य्
ढंग श्रच्छा न लगा श्रौर उन्होने महान् श्रात्मा शा प्रस्त न्ने
का पड्यन्त रच डाला ।
प्रौर ३० जनवरी, १६४८ की सांभे को नाप्ृराम गें। 3
नामक एक व्यक्ति ने पिरतील की गोटतियो से मानयता $ प्री
की हत्या कर दी । गाधीजी के सीने मे तीम गोलियाँ दी ५ ।
मरते समय उनके मुस से “राम! का साम निकगा घा। एसी
क्षण भारत की महान् प्रात्मा रवर मे वियीन हो ग ।
दापू ने भारतीयों के साथ बत उपर दिप। व्थदो
स्दतर्त्त वाराया । पारस्परिक भेद-भाव को মিতা নক হিলি
पाठ पदाया ।
सचमुथ् बापू प्रतिसा के पुदारो प्रेम शार भार क्षारे हे
ঘলনঘী 8 । ভি মারল মী নত আহাতী হী न्द वन
दियाया ।
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