अनमोल गाथाएं | Anmol Gathayen

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Book Image : अनमोल गाथाएं  - Anmol Gathayen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६१ जाकर दगे यान्त हुए । उन्‍्टी दिनो महात्मा गाधघीजी मे सबको प्रहिसा का उपदेश दिया | वे कहा करते थे, 'राम-रहीम, एक है इगीलिए वे ब्पने कीत॑न में भी यही गाया करते घे-- ईज्वए अल्लाह तेरा नाम, सव को सन्मति दे भगवान्‌ । दिः्ली के विरला भवनमे गाधीजी प्रात सन्ध्या यही उप- देय लोगो फो दिया करतेये। वहूतसे लोयौकोउनवा य्‌ ढंग श्रच्छा न लगा श्रौर उन्होने महान्‌ श्रात्मा शा प्रस्त न्ने का पड्यन्त रच डाला । प्रौर ३० जनवरी, १६४८ की सांभे को नाप्ृराम गें। 3 नामक एक व्यक्ति ने पिरतील की गोटतियो से मानयता $ प्री की हत्या कर दी । गाधीजी के सीने मे तीम गोलियाँ दी ५ । मरते समय उनके मुस से “राम! का साम निकगा घा। एसी क्षण भारत की महान्‌ प्रात्मा रवर मे वियीन हो ग । दापू ने भारतीयों के साथ बत उपर दिप। व्थदो स्दतर्त्त वाराया । पारस्परिक भेद-भाव को মিতা নক হিলি पाठ पदाया । सचमुथ् बापू प्रतिसा के पुदारो प्रेम शार भार क्षारे हे ঘলনঘী 8 । ভি মারল মী নত আহাতী হী न्द वन दियाया ।




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