भास्कराचार्य | Bhaskaracharya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नण
राहु नहीं,
पृथ्वी की छाया
ज्योतिष के अध्ययन के लिए गणित का अध्ययन बहुत
जरूरी है। परन्तु गणित और ज्योतिष के सिद्धान्तों में
एक बहुत बड़ा अन्तर भी है ।
गणित के सिद्धान्त स्वयं-सिद्ध होते हैं । उनके सत्य
होने का प्रमाण उसी सिद्धान्त में निहित रहता है, उसे
बाहर की किसी वस्तु में नहीं खोजना पड़ता। परन्तु
ज्योतिप के अनेक सिद्धान्त ऐसी वस्तुओं से सम्बंधित हैं
जो हमसे लाखों-करोड़ों मी की दूरी पर स्थित हैं,
जिस्टें हम छू भी नहीं सकते । ऐसी स्थिति में ज्योतिष
के बारे में कही गयी सभी बातें सच ही बनी रहें, यह
याध नहीं वह्या जा सकता । सत्य की सीमा में
के लिए अनुमानों को हजारों वर्षो का समय
ताए।
परन्तु एुछ अंध-विश्वासी छोग, सत्य खोज लिये
जाने पर भी, उरः
ग्प्त्य वा! पल्ला नहीं छोड़ते । इसीलिए
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