मत्स्य पुराण | Matsaya Puran
श्रेणी : पौराणिक / Mythological, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
111.74 MB
कुल पष्ठ :
748
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हा सी. ह. उध्याय विषय पृष्ठ संख्या. श्रथ्याय लिप कन्या ४०. श्रष्टक की जिज्ञासा ३७. ४०. शुक्र का पपो को शापदान ं ४०. ययाति का सुनि घ्म निरुपण 8७. ४७. शाणडासक द्वास सुन दी सनित 1 गज ४१. ययाति और म्रतदन का अश्नोत्तर ९९. ४०. सुर्रो की सफकता प+ 1 ४९२. ययथाति श्रोर चसुमाच का संचाद १०० ४७. प्रति सन्वन्तरों से दोनेवाल सच ताज दि 9२. शिवि श्रौर थयाति का संवाद १००. ४८... तुचंसु का यंश घर्गान 4 ४२. ष्टक और शिवि का ययाति से प्रश्नोत्तर १०१. ४८. दा को बंश चर्णन दूर ४२. ययाति का पुनः स्वर प्रधाण १०३. ४८. चथ्ि की कथा घर ४३. थयाति के पु्नों का चंश चणन १०३. धम उशिज की कथा ५ 2 ४३. यदु वंश का चणन १०३. पद. मसता पर खस्पति को कमा शि कक ४३. कात्तचीर्थ अजन की कथा १०४ ८. रर्भस्थ शिशु द्वारा मुहस्पति ही भर ना पक ४४. का्तवीर्ण ्ौर थादिस्म की सेंट १०६ ४८. चूहरपति का शाप नो 8 ४४. कार्तवीयं को शाप ... १०७. पप. दीघंतमा की पिचिय का हल पे. पद ४४. चुष्णिवंश का वर्णन १०७. ४८. गौतम परनी के साथ दीचितिसा को पशु ४१. विद्भ शरीर ऋथ कैेशिक की कथा १०८... पालन ५०1 ४४. झस्घक चंश के शेप राजा गण १०६. एप. दीघतमा सें बल्तिसी की घ्रयंयना ५34 ४१. चृष्णि की दो पत्नियों के पुत्रगण १६० ४८. सुद्प्णा श्र दीघतना की बातय 1 १ ४५ प्रसेन की कथा ११०. ४८. सुरप्या से श्र नंगे कॉलिंग पुरड़ मी सुर ._82- जाम्बवान् और कृष्ण का युद्ध १११ की उस्पत्ति 1.२ 9६. चुष्णि चंश का वर्णन ११२. ध८. दीघतमा का गरोनस दाना पड _ रृष्ण का जन्म ११४ पट रा चंगादि को बे श विवरग तु 8७ चसु्व देवकी नन्द और यशोदा का वर्णन ११४. ४८. कर्ण की कथा ५25 ४७. कृष्ण की खियों का वर्णन १९४ ४४. पूरु के पुरी का चर्यान १ ४५०. कुष्ण के पुत्री का चर्णन ११. ४९. मरते चंश की कथा ५3 ४७. अन्घक चंश की कथा ११९ ४६. भाद्वाज को विचिय इस्पत्ति यौन का तन पं सा 9 ९४. कृष्ण को अनेक संभ्रुतियों का वर्णन ११६ ४४. भरट्टाज को चंश यर्णन ५5 विभिन्न अवतारों में होनेवाले युद्ध 91९ ४९. नौप चश का यर्णन ५४६ ४०. देय चश का इतिहास पंप ४६ पूरु घेशियों का इतिहास ४ ४७. देस्यों की चिजय के लिए शुक्र की तपस्या ११८ ० ही का विस्तृत द्ति हा प््य ४७. सुरों का देस्थों पर थाक्रमण और शुक्रमाता ट्वारा ४१ राजा कुरु ्ीर कुरयोध की कथा द्् रक्षा ११३. ०. राजा देवापि की कथा लो ८ कर ४७. इन्द्र और विष्णु को शाप ११६. श०. शान्तनु की कॉपी 2 कक ४७. शुक्र को चर प्राप्त १९१. २०. शतराष्ट्र घर पाणडु बी कथा ए 2७ _ ७. शुक्र द्वारा शिव की स्वुति १९१ १०. कौरवों श्रौर पायइर्वो बी कथा पद सदा २. ५०. जनमेजय की कथा १४०
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