समाज और संस्कृति | Samaj Aur Sanskriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७
को महत्व प्रदान करतो है । समाज ही नक स्थान निर्धारित करता है।.
सामाजिक स्थितियां ही उन्हें विशेषता प्रदान करती हैं । यदि राजा के विना
चर्ण व्यवस्था और राज्य संचालन नहीं हो सकता तो वर्ण व्यवस्था के बिना
राजा की कल्पना भी नहीं हो सकती क्योंकि राजा स्वयं ही एक वर्ण है...
राजा प्रजानां प्रथमं शरीरम्,
प्रजाश्च रासोऽप्रतिमं शरीरम् ।
হালা विद्ीना न भवन्ति देशा;
देशा विहीना न ठपा मवन्ति॥
इसमें कोई सन्देह नहीं कि श्रपने विशिष्ट स्थान तथा कार्य के कारण
महापुरुषों फा महत्व समाज में श्रन्य साघारण जनों की श्रपेक्षा बहुत श्रधिकः
होता है, राजा या नेता होने के लिए कुछ व्यक्तिगत योग्यताओों फी आप-'
श्यकता होती है । कभी-कभी उनको जरा सी सावधानी यां श्रसावघानी से
चहूसंख्यक समाज फा काम वन या विगड़ सकता है । लेकिन उनकी श्षक्ति
कित्तनी रह् जाय यदि वह् सामाजिक व्यवस्था न हो जिससे उन्हें हर प्रकार:
की सेवा श्रौर सहायता प्राप्त होती है? विना इन सामाजिक सम्बन्धोंकेः
उनका कुछ महत्व नहीं रहता \ इन बन्धनो कौ शक्ति ही उन्हें सदक्त बनाती
है। बिना इस सामाजिक संगठन के थे समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने
का झ्वसर झौर श्ाघार ही खो बंठते हैं। सामाजिक जीवन में श्रपनी योग्यता
के विकास और प्रयोग का अ्रवसर न पाने के कारण कितने व्यक्तियों की
प्रतिभा वेकार रह् जाती है। सामाजिक व्यवस्था में श्रपने लिए कोई स्थान
पा जाने पर यही लोग महापुरुष वन जाते । इससे स्पष्ट है कि व्यक्तित्व के
प्रस्फूटन में सामाजिक व्यवस्थाओ्रों का बहुत प्रभाव है ।
व्यक्ति का निर्माणण समाज के भ्रनुसार ही होता है। इसीलिए व्यक्ति फो
समाज से समझा जा सकता है न कि व्यक्ति से समाज को । राजा को उसके
पूवंकालीन सामाजिक व्यवस्थाञ्रों के श्राघार पर समझना चाहिए न कि.
तत्कालीन समाज को राजा से। व्यक्ति पर समाज की प्रधानता है। इसी
प्रकार समाज की श्रपेक्षा प्रकृति की प्रधानता है । जिस प्रकार व्यक्ति समाज
का भाग है, समाज से च्यत्त है श्रौर समाज उसकी परिस्थिति है तथा
उससे व्यापक है, उसी प्रकार समाज प्रकृृति का भाग है, प्रकृति से व्याप्त है,
श्र प्रकृति उसकी परिस्थिति है तथा उससे व्यापक है । इस प्रकार व्यक्ति, .
विशिष्ट रूप से समाज का तथा सामान्य रूप से प्रकृति का भाग है 1 समाज.
तथा प्रकृति, दोनों उसमे श्रोतप्रोत्त हैं श्लोर दोनों ही उसकी श्क्ति.पर হাজল
करते हैं। किन्तु विशेष रूप से वह समाज से प्रभावित होता है! समाजः
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