फोलाद का आदमी | Folad Ka Admi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.15 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामकुमार भ्रमर - Ramkumar Bhramar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हि एंसे एव नहीं अनेक तथ्य क्ज़े यह दिदवास करने के सिए बाध्य करने हैं कि श्रान्ति संगठित थी । उसके पीछे योग्य आयोजक ये। सारी कार्यवाही इस सीमा तक गुप्त रही थो कि यह जानने हुए भी हि बुछ अनिर्चिव होनेवाला है बंप्रेडी शासन उस डुछ का पता लगाने में स्वयं को असमर्थ पाता या । श्रान्ति से पूर्व ही सभी ओर इस बात वा प्रचार हो गया या कि जल्दी हो कुछ होगा । कानपुर में तो अज्ञात आगंदा से अंप्रेज भयभीत थे । पर बहू कया कब बसे होगा यह सब मिंसी को पवा न था । मंदि क्रान्ति संगद्ति न होती तो ऐसो लागकाएं फेलनां मस्वामाविक होता 1 हु्दोकर मे निया हैं कानपुर में भय आशंदा और अविदवास का वातावरण या । मग्रे समझते थे कि शिसों भी समय हिन्दुस्तानी उन पर ल्ात्रमण कर सकते हैं मत वे सदा ही सशस्त्र रहते थे । सभी हिन्दुस्ठा- नियों की शंका की दृष्टि से देखते थे । सर जॉन के ने उस समय वी स्थिति का वर्षन इस तरह किया पण ० पड 0 #८्इ ंघ्टटए टन 930 9८८0 इाध्यए1घ8 पदों ॥61 ७0०१४ ० पा0ादुण८5 81 0०ल घट व्णप्राधफ एक अन्य स्यान पर सर जॉन के ने सिपाहियों की गुप्त समाशो को श्र्चा करते हुए ऐसी समाओं में भापण करने वालों के मुंह पर नंकाब पढ़ा होना बताया है । गमत और रोटी के प्रतीक भी इस वात का कम वा प्रमाण नहीं हैं कि संग्राम की योजना रीनिक और जन-स्तर पर काफी गट्राई से संगठित भी जा रही थी । बमल का फूस सैनिकों के लिए क्रान्ति में भाग लेने का सन्देश याजयर्कि घपाती ग्रामाम पहुँ चाकर जनता से सहमोग की प्रतिज्ञा करवाई जाती थी । एक चौकीदार अपने पास के गाँव से दूसरे चौकीदार को छः चपातियाँ देता और साय मे निर्देश देता था किइन चपातियों के टुकड़े श्र मु ग्रामीर्ों रन हर पुर १६४ बोनिदास गाराजों हडीकर के. ंडिपत सयूदितों पहन जिररं पुर रे दर बात के? १४ हज
User Reviews
No Reviews | Add Yours...