गबन : एक अध्ययन | Gaban : Ek Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५ )
का नौकरी करने को प्रस्तुत हो जाना नये जीवन में पदार्पण करने
का संकेत है ।
नौ--रसेश बाबू का परिचय जिनकी दिनचर्या में কষা के
उदेश्य-स्।दशंहीन जीवन की मालक मित्रती है ।
दस-जालपा की प्रकृति का नया पस्विय । पत्ति के नौकर
होते ही उसका स्वासिमान जागता है। माता के भेजे हार को
वह भीख समभती है और उसे लौटा कर ही शांत होती है |
सास-ससुर के प्रति घृणा या तिरस्कार की भावना उसमें हैं;
परंतु इस संबंध में लेखक का संकेत है कि इसका कारण है
उनकी आर्थिक स्थिति के संबंध में जालपा का वह श्रम जो रमा
की भटी डींग के फल-स्वरूप जन्मा था ।
ग्यारह--जालपा की विवशता और निराशा का, जिन्हे वहु
प्रयत्न करके दबाना चाहती है, लेखक ने यहाँ सूक्ष्मता से चित्रण
क्रिया है।
वारह--जालपा की मनोव्यथा का परिचय देकर लेखक
उसका चरित्र सम्हाललेताहै। कजं की भयानकता न सममने
वाल्ला रमा श्रव अपने सर पर बोक लादने को ही तैयार हो जाता
है। उसके इस काय से पाठक की उत्सुकता बढ़ती है।
ऐेरह--प्रथम बार कर्ज लेनेवाले व्यक्त का संकोच जो मन
में उठनेवाले आनंद के भाव को भी दबा देता है। सर्राफ की
फेंसानेवाली बातें, पति के ऊपरी कमरे सें चले जाने पर जालपा
का स्वयं इस तरह नीचे रह जाना जैसे वह भूल गयी हो कि
रमा द्वार लेने गया था और पति का स्त्री का दिल टटोलने के
लिए हार न मिलने का बहाना करना आदि प्रसंग परिच्छेद को
मनोरंजक बनाने के लिए पर्याप्त हैं।
चौदद- मध्यम वगं की माता के, जो जीवन भर दुखिया
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