नारायण राव | Narayan Rav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
397
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१०
के रूप में राज्य का खूब विस्तार दिया ( कतिदिन्द के महात्म् ने जय-
पतिराज बे स्वासी-बार्र-निरदंद॒ण ने सन्नुप्ट होरर 'सहामस्त्री राजपशों-
द्वोपक की उपाधि दी झौर उनको दो गांद भी दिये ।
इन वरह के उत्तम वश म खो राज लम्मो चुन्दर प्रसाद राव का जन
हुम्ला घा। मद्चार द नूवन विदधान ऊपर त्ते उनका हृदय आलोजित घा।
पास्चात्य विद्याओं में भी वें पारगत थे । उन्होंने सस्द्ृत में बी० ए० पाव
किया था। प्रसिद्ध पटिता से उन्होने सम्झृत सीखी थी । उनको जमीदारो
में क्सानों को कोई छष्ट न था । यह सोचकर বি নিন্য তলৰ দলা
के भावों भारत का भाग्योदय नहों हो सकता, वे पुरानों शामन-समा भौर
नई विधान-सभा के चुवाव में लड़े थे झोर बहुमत से सदस्य चुने गए थे 1
बे जलता के प्रतिनिधि थे । दे सरवार वो दगल में छुरी वो तरह थे ।
राजनोति में दे न््यायपति सुब्दाराव पन्दुलु के प्रिय शिष्य थे | শী
रामचन्द्र राज के प्रिय मित्र थे । उनका यह भी विश्वास न था कि गारखो
के झमहयोग आन्दोलन मे देश में अराजकता फन जानो । इसलिए शासन-
सभाभो में देश द्रोहियो को स्थान न देने में ही वे एक ऐसी देश-मेवा सम-
झते भे जो वे स्वय कर मक्ते थे ।
शजाम के जिले के नारिकेलवलस के जमोदार कोविकडि वोरबसव-
राज वरदेश्वर लिग्र ने झपनीं प्रथम पुत्री वरदबामेदवरों के साथ उनका
विद्याह क्या १ उनके दो लडकियों और एवं लड़का था । उनकी पहनो
लडकी शडन्तला देवो का विवाह, नेल्लूर जिले वे एक छोटेन्से जमीदार
भावनारायण के लडके विश्वेश्वर राव से हुआ 1
कुमर विश्देश्वर राद बहुत घमडी थे । इगलेड जाकर प्राक्सफोर्ड में
एम० ए० तक पडबर जब वे हिन्दुस्तान दापित आए तब उन्होने पहले-
पहल डिप्यूटी तहसीलदार की नोकरी को थो। फिर घोरे-्घीरे सिफारिश
बगेरह करवाकर वे डिप्यूटी कलक्टर बन गए | वे यह भूल गए कि वे
जमीदार थे और अपने से बडे हाक्मों की झामद सशामद करने लगे 1
उनका बह विश्दास था कि अगर अग्रेज हिन्दुस्तान छोडकर चले गए तो
यहाँ एक कोडा भो जिन्दा न रह सकेगा, भत्यन्त शस्य श्यामल सुन्दर भारत
हिमालय ने कन्याकुमारी तक 'सहारा' का रेगिस्तान हो जायगा 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...