ग्यारह पत्ते | Gyarah Patte
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुझे प्रधान बनाया । हर काम में मेरी सलाह लेने झ्राती थी। वो वोट मायन
झाइ तो क्या मना करती ?”
/बिल्कुल मना नही करना चाहिए था। लकिन जप्र उही रोमा दवी
ने पुलिस वे छाप से बचन के लिए करेंमी नोटा का बक़सा तुम्हारे घर
छिपाना चाहा थ तव क्या मना कर दिया था ?!
जता के पास इसरए कोई जवार नहीं था। उस दश्य को गाद करके
वह ধান उठी | नोटो वा মহা অধ रोमा देवी के नौकरा के हाथो से
गिर गया था भ्रौर एक कब्जा निकल जान से सौ सौ वे नोटो का एवं बडल
बाहर का गया था। लता तब पस्तीन से भीग गई थी और उसकए गला सूख
गया था1 पास खंडे किशोरसनौटोके बडल को बक्से म ठ्सकर उसे तुरत
बापम ले जाने के लिए नौोवरो को कहा था। उसके बाद लता छ सात दिनो
तक विस्तरः पर पडी रहो थी ।
लबी नोक भोक के श्रवमर उसके बाद बहुत कम ध्राए 1 कारण यह्
था कि उस घटना के बाद लता ने श्रौरतोी की कीतन संडली से जाना बद
कर दिया था और रोमा देवी के नाम से वह चिढ़ने लगी थी | व्रत-
उपवास पहले वी तरह चलते रह। लेकिन रोमा देवी के काले धन् का रहस्य
जानन वे बाद लता का अपनी श्राथिक स्थिति का एहसास तीन्र हो उठा
था और महीन की पहली तारीख को वह झौर भी तीद्र हो उठता था|
किशोर लता की मन स्थिति को समभता था । ब्रत उपवासों के ढकी-
सना से चिढन के बावजूद वह कभी इस बात को लेकर लता पर श्राक्षेप'
नहीं करता था। ग्रभावो के तीतन्र चौल भे वह अपना सयभ न खो बैठ इस
लिए आमदनी और सच के सार मसले को दिमाग से निदाल द॑ने के लिए
बह बीतराय योगी वा मुसौटा पहन लेता था ।
राज भी वह मही नुस्खा प्रंपना रहा था। पत्नी कमरे मे खाना रख
गई तो उसने चुपचाप खाना खा लिया और चादर तानकर सो गया।
ग्यारह पत्ते / 15
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deepika.mahato15
at 2019-04-09 06:01:18