हिन्दी कहानियाँ | Hindi Kahaniyan

Hindi Kahaniyan by Dheerendra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी कहानियाँ मार-मकुट गंजा-माल पीताम्बर की कछनी घारण किये सुरीली बाँयुरी ने ग्रमृत की धारा बहाते हुए श्रीकृष्ण घर इसी प्रकार यथार्थ जान पड़ने वारी वेशनूषा में सज्जित राधिका का सिलन कराया जाता है । जनता इस दृश्य को देखकर कुछ समय के लिए उन्हें वास्तविक श्रीकृष्ण और राधिका मान लेती हूँ पर उस मिलन को श्राज से कई हज़ार वर्ष पहले की एक मत्य घटना का श्रतिविम्ब मानकर उस पर विश्वास करती है। इसी प्रकार यधाथ वातावरण की सृष्टि करके कहानी-लेखक एक ऐसा चित्र उपस्थित कर देता है कि कहानी पढ़ते समय पाठकगण उसे कोरी कपोल-कल्पना नहीं समभझ सकते वरन्‌ उसे सत्य घटना का यथार्थ चित्र मानते हूँ । उदाहरण के लिए देखिये गुलेरी जी की कहानी उसने कहा था में नायक लहना सिंह भ्रौर नायिका के प्रथम मिलन के लिए लेखक ने एक ऐसा यथार्थ वातावरण उपस्थित कर दिया हूँ कि उसके पढ़ने के बाद पाठकों को उनके मिलन की यथार्थता में सन्देहू नहीं रह जाता । लेखक कहानी के प्रारम्भ में ही वातावरण की सृष्टि करता है बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई हैं श्रौर कान पक गये हैं उनसे हमारी प्रार्थना हैं कि ग्रमृतसर के बम्बूकाटे वालों का मरहम लगावें । जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ को चाबुक से घुनते हुए इक्के वाले कभी घोड़े की नानी से श्रपना निकट सम्बन्ध स्थिर करते हूं कभी राह चलते पेदलों की श्राँखों के त होने पर तरस खाते हैं कभी उनके पैरों को चीथ कर श्रपने ही को सताया हुआ बताते हैं और संसार भर की ग्लानि निराशा भर क्षोभ के श्रवतार बने नाक की सीध चले जाते हैं तब में उनकी बिरादरी वाले तड चक्करदार गलियों में हर एक लडइढी वाले के लिए ठहर कर सब्र का समुद्र उमड़ाकर बचो खालसाजी हटो भाई जी ठहरना माई श्राने दो लाला हटो बाछा कहते हुए सफ़ेद फेटों खच्चरों श्रौर बतखों गन्ने और खोमचे श्रौर भारेवालों के जंगल से राह खेते है । ब्या मज़ाल हैं कि जी श्रौर साहब बिना सुने सी को हटना पढ़े । यह बात नहीं कि उनकी जीम चलती नहीं चलती




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