अर्थशास्त्र के सिद्धान्त | Arthshastra Ke Siddhant
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
473
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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( 2) জাঘলা एव उद्यो ऊ | मानवीय ग्रावष्यक्ताप्रों को सन्वुप्ठ कर
वाच भेद युक्त युक्त सके । श्रथृशास्त क प्रनूसार सश्च स्थत
नहीं है । जो रि प्राकृतिक अथवा मनृध्य द्वारा निर्मित
(3) उहोश्यों के प्रत्ति अर्थश्ञात्त् | हैं. माँग की तुलना मे सीमित होते हूँ।
की तंटस्थना ठीक नही है । | #्दि साधन झसीमित होते वो प्रत्येत् मनुष्य
(4) वाहुलयता से उत्पन्न सम | अपनी सभी आवश्यकताओं को सन्हुष्ट कर
स्यान्नौ की उपेक्षा वी है। | गेया परन्तु एसा नहीं है ।
(5) শীহিন্র की परिमापा (3) साधनो कै वैकल्पिक प्रयोग---
स्थैनिक है । प्रत्येकं मनुष्य कै पास आवश्यकता की
(6) श्राथिक विश्लेषण म दैवल | सन्दुर्टि ন্ট ভিত জী सावन होते ह उन
निगमन प्रणाली श्रप्याम्त । | चे म्यक साथन के एक से श्रविक्र अनेक
(7) দাদ आचरण सर्दव | +* टिक प्रयोग हो सकते हैं। सावनो के
विवेबशील नहीं । बुक़त्पिक प्रयोगो के कारण ही चुनाव की
समस्या उत्पन्न होती है कि किस साधन को
{8} पणं रोजगार की घारणा क्सि प्रयोग मे लगाया जाए ।
गलत । र
(4) आवश्यकताओं को तीक्रता मे
( 9] এ कयै परिपा धर्तर--मनुध्य की श्रावश्थर्ताएं अनन्त
ष जटिल রর রা होती हैं परस्तु समी भ्रावश्यकताएँ समाने
(10) भ्रन्य प्रालोचनाएं' । महत्व श्रथवा तीन्रता बालीं नहीं होती हैं ।
श्रत प्रनुध्य को फग्रपती आवश्यवताग्रों की सत्तुष्टि के सम छुदाव को समस्या वा
सामना करना पडता है जि कौनसी आवश्यकताप्रा को पहले तम्ना कौनसी
प्रावश्यव्तात्रों को वाद में सन्तुष्ट किया जावे ।
उपरोक्त तत्वों के विश्लेपण॒ के बाद ज्ञात होता है कि रोबिन्स के अनुसार
अर्थशास्र ग्राधिक चुनाव की समस्या का अ्रध्ययतत करता है जो कि मनुष्य की झनन्त
आवश्यकता प्रो, उतकी प्रृत्ति के सीमित तथा बेकल्पिक प्रग्नोग़ वाले साघनो के वारछ
उत्पन्न होती हैं। यदि इनम से एक भी तत्व का अमाव हो तो चुवाव की समस्या
उत्पन नदी दमौ । रोविन्स के ग्रतुसार यह छुनाव वी समस्या सभी प्रकार वो ग्यवस्थाग्रो
में लागू होती है चाहे वे समाजवादी हो ग्रव॑वा पूजीवादी ग्रथवा मिश्चित । चुदाव
वी समस्या सामाजिक मनुप्य तथा समाज से दुर एकान्त में निवास करने बोले
लोगो पर भी लागू होती है । सक्तेप मे यह कहा जा सकता हैं कि अ्रथक्रास् मे
भनुप्य वी क्रियान्ना के एक विशेष पहलू का अध्ययन किया जाता है, जौ मनुष्य
की प्रनन्त आवश्यकताओं, इन ग्रावश्यक्ताओं की पूर्ति के लिए सॉमित तथा
चेंवल्पिक' प्रयोग वाल सांधनों से सम्बन्धित होता है )
रोविन्स की परिभाषा की विशेषताएँ--रोवि्त की परिभाषा वी निम्न
विशेषत्ताएँ हैं
(1) यह विश्लेषणात्मक परिभाषा है--रोविन्स ने मनुष्य वी क्रियाओं को
भौतिक, 6
ति, श्रमोततिक, साधारणा, श्रस्ाधारटा, श्र्थिक, अ्रमाथिक, सामाजिक, भसामाजिक
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