हम्मीरायण | Hammirayan Ac.4150
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
243
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६२ )
मैथिल कवि विद्यापति की पुरूष परीश्चाः प्रन्थके दयावीर कथा में
कीर हम्मीर का क्रान्त पाया जाना है । पुरुष परीक्षा प्रन অঅ অসাত্য ঘা
है, इसलिये हमारे ग्रन्थालय के प्राचीन संस्करण से द्याक्षीर कथा को ह्विन्दी
अजुवाद के साथ परिशिष्ट नं० ३ में दे दिया गया है ।
इम्मीर सम्बन्धी अप्रकाशित रचनाओं में कवि महेश के हम्मीर रासे
की दो त्रुटित प्रतियाँ हमारे सम्रह में है। उस ग्रन्थ की कई पूर्ण प्रत्तियाँ
राजस्थान प्राच्य विद्याप्रतिष्ठान, जोधपुर भादि के संग्रह में हैं उनकी प्रति-
लिपि प्राप्त करने का भी प्रयन्ल किया गया पर उन प्रतियों में अत्याविक पाठ
भेद होने से उसका स्वतंत्र सम्पादन करना ही उचित समक्ता गया अतः
इसमें सम्मिलित नहीं किया गया।
हम्मीरायण नामक एक और काव्य भी प्राप्त है जिसकी एक अशुद्ध-सी
प्रति राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान ने और उसके बृहद् रूपान्तर की प्रति-
लिपि स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायण जी के संग्रह में है, बढ़ ग्रन्थ काफी
चढ़ा होने से मुनिजिनविजय जी ने श्री अगरचन्द् जी नाइटा के सम्पादन
में राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान से प्रकाशन करना निर्णय किया है ।
हम्मीरदेव चचनिका नामक एक और महत्वपूण रचना की प्रति श्री
उदयश्क्कुर जी शास्त्री के सग्रह में है, उसका भी स्व॒तन्त्र रूप से व सम्पादिनि
कर रहे हैं इसलिये उसका उपयोग यहाँ नहीं किया जा सका है ।
माननीय डा० दशरथ शर्मा ने इस ग्रन्थ की बिस्तृतब शोधपू्ण प्रस््ता-
बना लिख देने को कृपा को है इसके लिए हम उनके भत्यन्त आमारी है ।
प्रकाशित रचनाओ का कथासार देने का विचार था, पर उसका समावश ड[०
दशरथ जी की भूमिका में हो गया है অশ: इस प्रन्थ के प्रंप्ठों को अनावश्यक
अढ़ाना ठचित नहीं समझा गया।
भवरलाल नाहटा
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