रास और रासान्वयी काव्य | Ras Aur Rasanwayi Kavya

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Ras Aur Rasanwayi Kavya by डॉ दशरथ शर्माडॉ. दशरथ ओझा - Dr. Dashrath Ojha

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डॉ दशरथ शर्मा

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० ) आर जो अनेक प्रकार उनके सामने आए उन्हें उपरूपकों फी सूखी में -रक्ला, जैसे तोटक, नाटिका, सहक, शिल्पक, দা, दुमल्लिका, प्रस्थान, भाणिका, भाणी, गोष्ठी, इतलीसक, काव्य, भीगदित, नाव्य रासक, रासक, उल्लोप्यक, प्रेच्ण । स्वभावतः इनकी संख्या के विषय में कई आाचारयी में मतमेद होता रहा, क्योंकि व्यक्ति - भेद; देश - भेद, और फाल-मेद से लोकानुरञ्ञन के विविध प्रकारों का संग्रद घट-बढ़ सकता था।, अप्रिपुराण में १७ नाम, भाव्रकाशन में बीस, नाब्यदपंण में १४, साहित्य - दर्पण में १८ नाम हैं। सबकी छान -बीन से २४, उप रूपक नामों की गिनती की जा सकती है। यहों मुख्य शातव्य बात यह है कि इनके नृत्य प्रकार और गेयप्रकार भेंदों का बन्‍्मन्ध्यान विश्वृत लोक - जीवन था। पस्तुतः भरत ने जो नाइक फी उध्पत्ति इन्द्रणज महत्व से मानी है उसका रहस्य भी यही है कि इन्द्रसेनं नामक लो सार्वजनिक “महः या उत्छव किया लाता था श्रौर जितकी परंपरा आर्य इतिहास के उषःकाल तक थी, उसीके साथ दोने वाला लोकफानुरंजन का मुख्य प्रकार नाटक कलाया । श्रभिनय; गान श्योर वाय फा सयाग उसकी स्वाभाविक विशेषता रहो होगी । ऊपर दिए गए उपरूपको की सूती से यदं भी शात होता है कि रासक का जन्म भी लोकपों तत्वों से हुआ । उपछूपकों - का प्रथक्‌ प्रथक्‌ इतिहास ओर विकासक्रम श्रभी श्रनुसंघान सापेक्ष है। भारत के प्रत्येक च्षेत्र में जो लोक के अभिनयात्म मनोरजन प्रफार बच गए हैं उनका वैज्ञानिक संग्रह और अध्ययन जब किया जा सकेगा तब संभत्र है उपस्पको श्रोर रूपको की भी प्राचीन परंपरा पर प्रकाश पड़ सके | शी श्रोफान्ञी का यह लिखना यथायथ श्ञात होता है कि रास, रासक, रासा; रासो सब की मूल उत्पत्ति समान थीं। इन शब्दों के अर्थों में मेद मानना उपलब्ध प्रमाणों से सगत नहीं बेठता । रात की परंपरा कितनी पुरानी है यह विषय भी ध्यान देने योग्य है। बाण ने हृ्षचरित में 'रासक पदो? का उल्लेंख किया है ( भ्रश्लील रासक पदानि गायन्त्यः, षं चरि, निर्णय सागर, पंचम सस्करण, प० ११२ )। जब ह७ं का जन्म हुआ तत पुत्र जन्म भदोत्सव में स्लियों रासकपदों का गान फरने लगीं। बाण ने पिशेष रूप से फट्टा है कि वे रासक पद अश्लील थे और हसलिए विट उन्हें उुनकर ऐसे हुलस रहे ये मानों कानों में श्रम्तत चुआया जा रहा हो। इससे अनुमान डोता हैं कि ऐसे रासक पद भी होते ये जो अश्लील नहीं थे । ये रासक पटः




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