समाजशास्त्र परिचय (भाग-२) | samaajashaastr parichay (bhaag- २)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
samaajashaastr parichay (bhaag- २) by मदन मोहन सक्सेना - Madan Mohan Saxena

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मदन मोहन सक्सेना - Madan Mohan Saxena

Add Infomation AboutMadan Mohan Saxena

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
এ व হী सामाजिक नियंत्रण ११ धामिक नियमों को भी इसी श्रेणी में रखा जाता है। इनका पालन करवाने के लिये विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता जिस कारण से इनको सहज नियंत्रण कहा जाता है । (५) प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सामाजिक नियन्त्रण (11:০0 बाते 100010506 99০1%] ০9001) নাক নলনীল (191 119.01558০)ল सामाजिक नियंत्रण को दो भागों में बांटा है : प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष । जब निकट আহ হলি लोगों, जैसे माता-पिता, मित्र, सम्बन्धी, पड़ोसियों, अध्यापकों, आदि के द्वारा कोई नियंत्रण व्यक्ति के व्यव- हार पर लगाया जाता है तो उसे हम प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण कहते हैं । इस प्रकार का नियंत्रण प्राथमिक समूहों की विशेषता होता है । इस प्रकार के नियन्त्रण के लिये प्रशंसा, पुरस्कार, आदर, निन्‍दा, बहिष्कार जेसे साधन अपनाये जाते हैं । इस प्रकार के नियन्त्रण को व्यक्ति सहर्ष स्वीकार करता है क्योंकि यह अपने घनिष्ठ ' लोगों द्वारा लगाये जाते हैं। इसी से इनका प्रभाव दीघेकालीन होता है। दूसरी ओर, अप्रत्यक्ष नियन्त्रण व्यक्तिगत रूप से नहीं होता । यह अव्यक्तिगत प्रकृति का होता है । इस प्रकार के नियंत्रण द्वेतीयक समूहों और संस्थाओं द्वारा लगाये जाते है । मैनहीन के अनुसार अप्रत्यक्ष नियंत्रण प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पर्यावरण द्वारा लगाया जाता है। फिर भी, मेनहीम यह भी मानते हैं कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण भी व्यक्तियों के व्यक्तिगत माध्यम के द्वारा लागू किया जाता है । (६) शारीरिक शक्ति-विधि और मानवीय प्रतीक विधि (১1১55102] 10106 0061194 23011000021 39310011060) छम्ले (17/ए:०1०७) ने सामाजिक निश्नन्त्रण की दो प्रकार की विधियों की चर्चा की है : शारीरिक शक्ति विधि और मानवीय प्रतीक विधि। पहली विधि में व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिये शारीरिक शक्ति का प्रयोग किया जाता है। दूसरी विधि में भाषा, प्रथा, परम्परा, घमं, संस्कार आदि की सहायता से सामाजिक नियन्त्रण किया जाताहे। सामाजिक नियंत्रण के सिद्धान्त . (फ6०765 0६1 50291 (८0700) ) अत्यन्त प्राचीन और आदिम समाजों में भी सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवहार को संगठित करने के लिये एक शक्ति के रूप में सामाजिक नियन्त्रण पाया जाता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now