महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महारमा गाँधी रूस के भहात माववठादादी, जनवादी और साम्राज्यवाद-
विरोधी सेव तोह्स्तोय के प्रशंसक थे और इससे प्रेरित होकर उन्होंने १६०४५
थी फरान्ति वी सदर सुनने पर उसकी सफलता की कामना की । हाज्ाकि बह
दोल्शेदिशों के अनीश्वरदाद सो पसन्द नहीं करते थे, फिर भी उन्होंने प्न
लोगों का साथ नहीं दिया लिन्होंने साह्राज्यवादियों के राथ मिल कर १६१७
थये महान अवनुदर क्रान्ति की निन्दा की थी ।
मदात्मा गांधी के अनेक कार्यों और विचारों ने नवज्ञान-विरोधी रूप জং
ग्रहण कर लिया था, पर उसके बावद्गुर वह संसार के महानतम साम्राज्यवाद-
विरोधी योद्धाओं में रे थे, मानव जाति के इतिहास के महावतंभ मानवता-
यादियों में मे थे, तथा, निददय ही, स्वतंत्रता और रवाधीनता के लिए
भारतीय प्रान्ति के महानतम नेताओं में से थे 1
इन्ही बानी से हमे उसके जन्म की शताब्दी इस प्रकार माने के लिए
प्रेरित होगा घाहिएं, जिससे उन लोगों को स्मृत्तिया पुनर्नीबित ही उठे जिन््हींते
स्वतंभ्ता वे: लिए लड़ते हुए, नस्लदाद के छिलाफ, अममानता और उत्तीड़न के
घित्ताफ, छुआदूत, जनता में विभाजन और कूट के खिलाफ वया व्यक्तिगत
ओर सार्दजनिक जीवन की शुद्धता के लिए हझुमते हुए अपने प्राण गंवाये
उन्हींने जिस जंगजू तरीके से राज्य सत्ता और धन के विकराल व्यूहु की
उपेक्षा की, जिंप्त त्तरहु बहू मानव की और सास तौर पर गरीबों की, दरिद्र-
नारायण औझोर उत्तीड़ितों की गरिमा के लिए लहे, उघे पुनर्जीदित करना
जरूरी है। वह सबसे बढ़ कर श्रम के भौरव के समर्थक थे और इसी के प्रतीक
के रूप में वहू प्रति दिन सूत कातते थे
ध्राज हमं सभी को स्वापीनताकौ विमत्त को रौर भागे वृत्ते हुए समाज-
बाद के लिए लड़ता चाहिए गयोकि इमी से धनकृवेयै की सत्ता का अंत्तिम न्पिध
होगा तथा उन लाएफों-करोड़ों मेहनतकझशों की सत्ता की पुष्टि होगी थो स्वतंत्र
भारत के खेतों और कारखानों में शरीर और मस्तिष्क के श्रम के आधार पर
जीवन विता रे हैं ।
मद्गात्मा गांधी का जन्म १८६६ में हुआ था जिस समय भारत के स्वायी-
नहा संग्राम की शक्तियां पीछे हुट रही थी और योरप पर उत्त फ्राप्त-जमेंद युद्ध
की काली छाया पढ़ते लगी थी, शिक्षके बाद साम्राज्यवाद पुष्पित-पत्लवित
दण था; और इसने, संपूर्ण विद्य को अद अर् एड था; ५
किन्तु १६४८ में जब उनकी भृत्यु हुई, उस समय साआज्यवाद पीछे हट
रहा या, एक-पिहाई संतार समाजवादी बत चुका था क्या औपतिवेशिक
साप्राम्य बहू रहे थे। उत्हींने भारत जप तत्यन्त भहत्वपूर्ण भूस॑ंड भें साम्राज्य-
बाद-विरोदी श्रंंति में महान भूमिका अदा की और अन्मे एक दुष्ट हत्यारे
५
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