राजा और प्रजा | Raja Aur Praja

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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

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रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ও. अँगरेज और भारतवासी। त अच्छा काम हो सकता दो वहौ हम खोग तीव्र भापार्मे आग गठने छग जाते हैं और जिस अवसर पर किसी साधारण अनुरोधके छन करनेमें कोई विशेष हानि नहीं होती डस अवसर पर भी दूसरा भ्ष॒ विमुख हो जाता है। किन्तु सभी बड़े अनुष्ठान ऐसे होते है कि उनमे बिना पारस्परिक द्वावके काम नहीं चछता । पचीस करोड़ प्रजाका अच्छी तरह शासन रना कोई सहज फ्ाम्र नहीं है । जब फि इतनी बड़ी राजशत्तिके गरध कारबार करना हो तब संयम, अभिज्ता और विवेचनाका होना वश्यक है | गवर्नमेण्ट केवड इच्छा करके ही सहसा कोई फाम नहीं _र सकती | यह अपने धडप्पनमें इबी हुई है, अपनी जदिलतासे कड़ी ९६ है । यदि उसे जरा भी फोई काम इधरसे उधर करना ही उसे वटृत दूरसे वटतसी कटे चटानी पदती ट । हमरे यतौ एक जीर वड बात यह है कि ऐंग्डोईंडियन और भारतवासी शने दो अयन्त असमान सम्प्रदायोका চ্যান হন লন काम यरना पड़ता है। बह॒तसे अद्सरोपर दोनेंके स्वार्थ परम्पर विरोधी होते हैं | गध्यतैजका चाएणक इन दो विपरीत शक्तियोंमेंसे किसी एककी भी पेश्वा नरौ वर सकला भर्‌ यदि वह उपेष्ण करना चारे तो उसे दिपल होना पड़ता है। हम টীম আন অনি অন अमुसार पोई प्रस्ताव परते हैं तव अपने मनमें यही सम्शने हैं दि गयनमेष्टके लिये मानों ऐंग्टोशेटियनोंकी दापा कोई दादा ही नहीं है | ইল নন্ব ছুটিত জী হানি ভন্টীতা खपिकरे | সয় হাসি অন তো কিনি হিল লং লহ एष्ना पडता टै रसया पएग्विर एद रिर्के रषे मिल घुछा ९1 पदि হাই সব আন न्पारदे पे भी रेख्माड তামা ঘা জী সী उमे पटः पवित उपायम निष




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