हिन्दुत्व | Hindutav

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindutav by वीर सावरकर - Veer Savarkar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about वीर सावरकर - Veer Savarkar

Add Infomation AboutVeer Savarkar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हिन्दुत्व 1] १३ 'विजय पाई और हिमालय से कुमारी झत्तरीप तक समस्त पृथ्वी पर अपना आधिपत्य ज्ञमा लिया तब फ़िर सब राज्य एवं चक्रव्तों झाये राज्य में शामिल हो गर । वदद दिन िंदू इतिहास में सदा झमर रहेगा, जब अश्वमेय यज्ञ के अपराजित शव ने समस्त भारत की परिक्रमा करके अयोध्या में प्रवेश किया श्रौर सम्राट गमचन्द्र के सामने सार्वमौम राज्य के चक्रवर्ती सम्राट डोने के कारण विभिन्न राज्यों के राज्ञा अपनी भ्रधीनता प्रकट करने छाए, बह्द दिन हिन्दुत्व के हिये स्वर्थीय दिन था । उस दिन न केवल विशुद्ध झाय रक्त के राज्ञा दी अपने चक्रवर्ती राजा के सम्मुख पेश हुए वल्कि वुमन, सुप्रीव, विभीषण भी, जो कि मध्य भारत और सुदूर से आये थे, हिन्दूराज्य के भाण्डे के नीचे झाये | वह हिन्दुग्रों का सच्चा राष्ट्रीय दिन था क्योंकि उस दिन झाय व झनाय॑ सभी एक राष्ट्र के नीचे आये थे और सब ने मिलकर एकरा्ट्रोयता को जन्म दिया था । उस दिन हिल्हुओं का; हिन्दुस्तान को एक राष्ट्र बनाने का प्रयत्न सफल हुमा था। वह अयत्न उसी दिन से जारो था जत्र प्रथम चारयों का दल सित्धु नदी के तट पर श्राया था | सदियों की कोशिश उस दिन कामयाब हुई थी । झाज मी हम हिन्दुस्तान में जो राष्ट्रीयता की भावना डिखलाई देती है उसका बीजारोपण थी उसो दिन हुआ थ।। वही भावना आजतऊ हिन्दू मात्र मे ज्ञात है । उसी दिन से सब दिन्दू एक काएंडे क नाच आए थे । इसी भावना को लेकर सम्रादों का उदय हुआ झौर क्षप हुआ । मगर भावना बनी रही । एक जीवन्त फह्पना को अगर कोई व्यापक परिभाषा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now