आधुनिक भारत | Adhunik Bharat thatte
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.13 MB
कुल पष्ठ :
396
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दुस्तान क्यों आर केसे जीता गया १ १७
-समभने लगे थे कि नादिरशाद नेसे ईरानी लुटेरे से दिल्ली के तख्त
को बचाने की जिम्मेदारी हमपर है। बाजीराव की सृस्यु के बाद राधोन्रा
दादा ने श्रटक पर अपना भकरडा गाड़ा, जिससे उत्तरी भारत के
मुसलमान श्र राजपूतों को यह डर हुभ्रा कि दिल्ली का तख्त दक्षिण
के हिन्दुओं के कब्जे में चला लायगा; इसलिए. मुसलमान रोहिलों ने
अहमदशाह ग्रव्दाली जेसे को बुलाकर इस बात की कोशिश को कि इस
दक्खिनी साम्राज्य की रोक हो श्रौर दिल्ली का तख्त मुसलमानों के हाथ
से न जाय | इघर यह उथल - पुथल हो रही थी, उधर चंगाल श्र मद्रास
के समुद्र -तट पर द्रँग्रेज व्यापारी श्रपनी राजनीति के खेल खेल रहे थे |
मराठों श्रौर सिक्खों ने मुसलमान साम्राज्य के खिलाफ बगावत खड़ी कर
अपने स्वतन्त्र राज्य कायम कर लिये थे । यह ख़बरें बंगाल के हिन्दुद्नों
तक पहुँचती रहती होंगी, इससे श्रनेक मतों में सुसलमान सत्ता के
खिलाफ भाव पैदा हुए हों तो आ्राश्चये नहीं; परन्तु मराठों के हमले बंगाल
'पर होने के कारण वहाँ के व्यापारी धनियों पर एक नई श्ापत्ति श्राई
मालूम हुई होगी । इन हमलों का मुकावला करने के लिए वहाँ के नवाव
इन सेठ -साहूकारों पर जुल्म करके, इन्हें तंग करके, झार्थिक सहायता
लेते होंगे श्रौर श्रगर मराठों की जीत हो गई तो भी उनकी लूटमार
तर मनमानी का डर रहा होगा । ऐसी स्थिति में बंगाल के व्यापारियों ने
मुसलमान शासकों श्रौर नवावों के खिलाफ बगावत खड़ी करने में थ्रंग्रेज
व्यापारियों को सहायता दी हो श्रौर मध्यम वरगे के लोगों को कुछ समय
तक श्रंग्रेजीं का शान्ति-पूर्ण शासन ज्ञालिम शरीर विदेशी जर्मीदारों के बात से
बचाने श्र छुड़ाने के लिए. ईश्वरीय देन है, ऐसा लगा दो तो श्राश्रयें नहीं |
परन्तु यदद भावना हिन्दुस्तान के सब प्रान्तों में संघ नहीं थी क्योंकि
उन्दीं दिनां एक ब्रिटिश गवर्नर सर जॉन माल्कम से लिखा है --
“हमारा राज्यविस्तार कुछ व्यापारी-वरग श्रौर अत्यंत दरिद्र और
श्रक्षित लोगों के लिए, श्रनुकूल हुआ है, परन्तु हिन्दुस्तान के उच्च -च्गें
तर सैनिक - वर्ग पर उसका चहुत ही प्रतिकूल परिणाम हुआ है ।'+#
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कठोठप्राण, रिघाराण 1, िघूू6 139
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