अष्टछाप काव्य का संस्कृत मूल्याङ्कन | Ashtchap Kavya Ka Sanskrit Mulyankan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
666
श्रेणी :
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डॉ. दीनदयालु गुप्त - Dr. Deenadayalu Gupta
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प्रेमनारायण टंडन - Premnarayan tandan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५) ¢
पालागन--१८२, पराम गा मनाम--१८३, जुहार, शाम येडना पौर गिनती
करना, आशीर्षाद के विविघ रूप आशौर्वाद या झ्सीस--१८४ प्माक्षिगन
ऋरना (ठ छगाना) प्रीति जनाना--१८४५ पत्र-संबंदी शिप्ताचार-१८६ |
(৭) उस्खव तथा सैंस्ख़र--१८०, उन्मौस्कब्र--१८%, जातकर्म और
अन्मीस्व--१६ है, छुठी--१६५, नामकरण--? ६८, मिष्कमए, श्रप्तप्रासन
१६६, पुर्गाढ--२ , सृकं करुवेष--२ १, उपनसन (पशोपवीस)
-९ १ बेहार॑म जिवाइ--२ ४, पर-प्रेशय--२ ७, सगरा गेगनी
ओर बारान सर्ई--२ ८७ बाग्दान निमंत्रण--२ ६ मंडपकरश--२१ ,
इक्टौ-तंल बढ़ाना बर भी सम्य--२११ दकश-बंधन, देगौ-पूश्न--२११,
अधू-पहागमन, मघुपकौ--श१४ विवाह, प्राणिप्रहण, गठबंपन--२१५५,
पिन क्िशा, फैकव्-मोजन--२१९) जुदा स्वेलना--२१७) गाली गाना
লাকা देना मा मूर बरना, भि--२१८ दाप गा ददेज--२२ ण्ड
प्रवेश भ्रस्यपि-२२१ समीषा--<९५।
५. লানাশিক্ষ जीवन-चित्रण वि ~~ २०७-४१३
(क) सामाजिक ब्यत्स्था, वर्ण॑-स्पद्रस्पा--२२९ अपष्टधाप-काम्प में
शर्गुउपगस्या-संबंधी उश्वेन--२९१ प्र्मग-२१२ पतिष--२१४
হতে) সময ब्रप्चपाश्राभम चर्या-२१६ गशहस्थाभम
र्वा) बानप्रस्माभम भचा संन्पाषाभम पर्चा--२३१७।
(ल) प्मप्टछाएकास्प में मनौडिनोइ--२३१० बाह्यामल्पा क लेल
শ্রী मनौबिनौट--२१८५ कम इइ-सूप के राल--२६६, दीइ-भूप के लेल
ऑखिमियोनी-- २४१९ छुपा-दुप्ौगल--२५१ श्दाराष्ण--२४४ बेल-
मेल) पदुक-दीङा- २८५) बौगान-क्टा-- ९४६ धन्य रोल, पतंग--१४७
कहानी मुनाना, पदेली-आुमरबल--२४८, शर-क्रौट्रा, बालिकाशों क प्ल
নট युवकों पे पल, साइस के पल दोगन--२५ मत्रपुद्--२५२
मृगपा--२५८ बौद्धिक शोग पेव के राह--२४५५, यतकोडा--२४५७ कला
बपाल क राल--२४६ मनीर॑श्त के इसन्य साधन, इुंज विशर--२६ আল
िशर--२६१ पशु पत्चिरों स क्वीहा--२६४, नट विदा शमोखश्य--२६४।
(प) परत्रोमइ--२६३२ “तासर, कूलम॑हली--२६७ डिशिरा--१६८,
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