भारत में मुस्लिम सासन का इतिहास | Bharat Me Muslim Sasan Ka Itihas

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Bharat Me Muslim Sasan Ka Itihas by S. R. Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दू सारत का प्रसव ्‌ करने का सकदप किया । सोज शीघ्र ही सिन्‍्ध तथा काश्मीर को छोड़ कर समस्त उत्तरी भारत का सम्राट बन बैठा श्रौर कन्नोज को उसने अपनी राजधघानी बनाया । यद्यपि वह श्ररवों का कट्टर श्र था फिर भी यरब लेखकों ने सकी अश्ववाहिनी के प्रताप की प्रशपा की हैं ्रीर लिखा है कि उसका विस्तृत साम्राज्य झपराधों से सचंधा सुक्त था । डिन्तु दसवीं शताब्दी में भोज के उत्तराधिकारियों के समय में प्रतिहारों की भाग्य-लचमी कील होने लगी । राष्ट्रकूटों ने पुनः उत्तरी भारत में ्रपनी विजयिनी तलवार की घाक बैठाई श्ौर इन्द्र तुतीय ने कुछ काल के लिये कन्नौज पर भी ध्धिकार कर लिया । चन्देत चालुक्य चेदि श्रादि छोटी शक्तियों तथा राज्यों ने घिशाल प्रतिहार साम्राज्य को छिनन-भिनन कर दिया । किन्तु साम्राज्य की शक्ति क्षीण हो जाने पर भी थुर्जर-प्रतिहारों ने दसवी शताब्दी के श्रन्तिम दशक तक मुसलमानों को उत्तरी भारत में प्रवेश करने से रोका । / १8१ ई० में कन्नौज के राजा राज्यपाल ने वीरतापूचक जयपाल शादी का साथ दिया किन्तु कुरंम घाटी के युद्ध में हिन्दुों की जो पराजय हुई उसमें उसे भी भागीदार बनना पड़ा । १००८ ई० में पेशोवर के युद्ध में पुनः गुजंरों ने श्रानन्द- पाल शाही का पक लेकर युद्ध किया । किन्तु हिन्दुओं का तुर्बों के विरुद्ध यह संघ दिन-प्रतिदिन निष्फल होता गया । महमूद राजनवी ने पहले मथुरा श्र फिर कन्नौज पर श्रधिकार कर लिया । राज्यपाल को मुस्लिम झ क्रमणुवारियों तथा चन्देलों के नेतृत्व में संगठित अपने श्मोस्तरिक शत्र प्रो के संघ के विरुद्द साथ- साथ युद्ध करना पढ़ा इसलिये श्रन्त में उसकी पराजय हुई। उसके पुत्र श्रिल्लोचन- पाल ने संघ जारी रक्‍्खा शौर कुछ काल के लिये इलाहाबाद में शरण ली । कन्नौज गाइडइवौलों के ध्याधिपत्य में एक शताब्दी तक श्र हिन्दुश्नों के ही अधिकार में बना रहा । तदुपरान्त उसको मुसलमानों ने हस्तगत किया । भ छाजमेर के चोह्ान--जिस चंश में प्रसिद्ध पथ्वी राज हुआ वह राजस्थान में स्थित सॉमर पर दं।घंकाल से शासन करता श्राया था और चाहुमान्ु कददलाता था । ऐसा प्रतीत होता है कि घाठवची शताब्दी में चौहानों ने सिन्ध के ्रबों को श्रागे बढ़ने से रोका । इसी वंश के श्रज्यदेव ने ११ वी शताब्दी में झन्मेर की स्थापना की । प्थ्वीराज के चाचा दिगद्राज ने घोहान राज्य की सीमाओं का श्र भी श्रधिक विस्तार किया । एथ्वी राज को सुसलमान इतिहासकारों ने राइ पिथौरा लिखा है उसके वीरता पूर्ण कांयों का रॉजस्थान के लोकप्रिय सहा- काव्य चाँद राइस में देदीप्यमान चणंन है । कननोज के राजा जयचन्द्व की पुत्री संयोगिता को नाटबीय ढंग से भगाने की उसकी कहानी का हिन्दुस्तान की सबसे श्रधिक लोकप्रिय याथाश्रों में स्थान है । उसकी वी रतापूर्ण राजनैतिक सफलता शो में - सबसे श्रघिक प्रसिद्ध दो है-- उसने चन्देख राजा परमर्दी के राज्य पर घाक्रमण किया भोर उसे हराया तदुपरान्त उसने सुहस्मद ग़ोरी का वीरतापूर्वक प्रतिरोध किया और ५१४१ इं० में तराोरी के प्रथम युद्ध में उसे परास्त किया किन्तु धन्तिम युद्ध में उसी रणक्षत्र में पृथ्वीराज परास्त हुझा श्रौर बन्दी बना लिया गत




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