भारत वर्ष का इतिहास भाग - १ | Bharat Varsh Ka Itihas (vol. - I)

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Bharat Varsh Ka Itihas (vol. - I) by लक्ष्मी नारायण माथुर - Lakshmi Narayan Mathurलौटू सिंह गौतम - Lautu Singh Gautam

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लौटू सिंह गौतम - Lautu Singh Gautam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारा देश. ट न चालों के छोटे-छोटे गाँव थे । जब से जहाज़ों का च्ाविष हुआ है और समुद्री रास्ते से व्यापार होना प्रारम्भ हुआ है तभी से इन नगरों ने भी उन्नति की है और होते-होते आजकल ये भारत के प्रधान नगर समझे जाते हैं । ब्रह्मा और छेंका-ज्रह्मा भारतवर्ष की पूर्वी सीमा पर स्थित है । भारतवर्ष के नक़शे पर एक नजर डालने से माठम हो सकता है. कि त्रह्मा और शेष भारतवर्ष के बीच में कई पत- श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर फैली हुई हैं । ये पृब॑त-श्रेणियाँ भी घने जंगलों से ढकी हुई हैं । इस कारण थाने-जाने में बड़ी कठिनाई पड़ती है.। लंका का द्वीप दृक्षिए की ओर हिन्द मद्दासागर में स्थित है । इसके और भारतवर्ष के बीच समुद्र अड़ा हुआ है । जलवायु--देश का जलवायु सब जगह समान नहीं है । उत्तर की ओर सर्दी के दिनों में काफ़ी सदी पड़ती है और गर्मी के सौसिस में खूब गर्मी । पूव॑ की ओर पश्चिमीय प्रान्तों की अपेक्षा वर्षा अधिक होती है क्योंकि बंगाल की खाड़ी से जो जल भरी इवाएँ चलती हैं वे हिमालय पवेत से टकराकर वहाँ अधिक वर्षा कर देती हैं । समुद्री किनारे के नगरों का जल- वायु समुद्र के कारण न अधिक शोतल है और न अधिक ऊष्ण । देश के विस्तृत होने के कारण भमिन्न-सिन्न स्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार का जलवायु पाया जाता है । # - भौगोलिक स्थिति का प्रभाव--उपयुंक्त वर्णन से तुम्हे भारतवर्ष की भौगोलिक स्थिति का पता लग गया होगा । तुम यह बात सली भाँति जानते हो कि जो सचुष्य जिस स्थान पर रहता है उसपर वहाँ के जलवायु स्थिति और भूगोल-सम्बन्धी अन्य




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