इंग्लैंड में महात्माजी | England mein mahaatmaajee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बम्बई से ठीक पश्चिम की तरफ के १,६६० मील दूर थका देनेवाले समुद्री-सफर के बाद, विश्राम का पहला बन्दरगाह अदन है। नगर ज्वालामुखी चद्ानो का समूह है--नगर का केन्द्र भाग अभी तक क्रेटर” (ज्वालामुखी का मुख) कह- लाता है और यात्री को जहाज पर से ही मछलियों के बड़े-बड़े ढेर और शहर के चारों ओर की वृक्षह्दीन, कोयल-सी काली चट्टानें दिखाई देने लगती हैं। कहा जाता है कि सदियों से इसपर अनेक शासकों ने शासन किया, ओ्रौर श्रव मी कदा जाता है कि जिस समय सन्‌ १८३६ में इसपर अधिकार किया गया यह एक मछली के शिकार का छोटा-सा गाव था, जिसमें मुश्किल से ६०० प्राणी रहते थे | यदि विश्वस्त विवरण मालूम हो सके तो इसके कब्जा किए. जाने की कथा भी बड़ी मनोरज्ञक होगी ओर कदाचित्‌ साम्राज्यवादी लुठेरों की उन्नीसवीं सदी की लूट मे और वृद्धि करेगी । अवश्य ही अंग्रेजी स्कूल के विद्यार्थी को तो यही पढाया जाता है कि लाहेज का सुलतान, जो कि सालाना खिराज के तौर पर अदन छोड़ने के लिए. तैयार हो गया था, अपने वायदे से फिर गया और एक अंग्रेजी जहाज पर हमला करके उसे अदन




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