श्री पदमावती पुरवाल जैन निर्देशन | Shri Padamavati Purvaal Jain Directory

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उक्त परिचय विवरण से निस्त तथ्य सामने आया हैं। पद्साववी पुरवा््ों की जन-संज्या जिसमें खी, पुरुष, वाटक , वाङिकाये सभी सम्मिङित दै । कगसग ३५१७५ है । इसके संपादन में श्रीमान्‌ सेठ छुगमन्दिरिदास जी कलकत्तावालों ने पर्याप्त श्रम किया है । वस्तुतः यह काय जितना आवश्यक धा उतना ही उपेक्षित था और यह आशा सी नहीं की (गई थी इस प्रकार को किसी डायरेक्टरी का निर्माण भी हो सकेगा । अकस्मात्‌ विना किसी घोषणा और प्रदर्शन के आपने इस काम को अपने हाथ में लिया भौर सूक सेवक वनकर काम सें जुट गये। इसके साथ ही आपने “परदूस्ावती पुरवार” भासिक ঘন का भी अपनी ओर से प्रकाशन किया जो समय पर कृगसंग सभी पदूमावती पुरचालों के पास पहुँच जाता है । इसका सुयोग्य संपादन मी आपके हाथो मे है घौर सम्पूणं ज्यय-सार आप ही उठाते है। आप अत्यन्त उदार और सहृदय है। आपका व्यक्तित्व पद्मावती पुरवाक समाज के लिये गौरव की बस्तु दै ¦ यह डायरेक्टरी उक्त समान का एक सांस्कृतिक झोष है और उसी प्रकार संग्रहणीय है जिस प्रकार हम अपने घर के घुज्ञुगों से संबंधित एतिहासिक दस्तावेजों को सुरक्षित रखते है। इस समाज से जहाँ तक हमे याद है रचनात्मक काम नहीं जैसा हुआ इस दृष्टि से इस डायरेफ्टरी का निर्माण-कार्य समाज-सेवा की तरफ एक अत्यन्त ही प्रगतिशीछ और ठोस कदम । ह झुगमन्दिरदास जी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इसकी भूमिका लिखने का अवसर प्रदान 1 इन्दौर -लालवहादुर शत्री ३०-९-६४ एम० ए०, पी-एच० डी०




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