आर्यमत निराकरण अश्रावली | Aarymat Nirakaran Ashravali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).' ७८-कऋ० भू० में चीथा हेतु ब्राह्मण अ्न्धों के वेद न होने में खा० '
द० ने अनीश्वरोक्त हीना दिया है। से कया तुम ऐसा कोई प्रमाण
दे सकते है। कि जिस में मन्त्र संहिता ईश्वरोक्त हों। और ब्राह्मण
ईश्वरोक्त नहों। -यदि:ऐसा प्रमाण हैते दिखाना। यदि: नहीं
है ते। अनीश्वरक्त कहना भंठा क्यों नहीं है उक्त शब्द वच धातु का
है, उक्ती क्ते वचनं वाक् शब्द् भी धनते है 1 चाक् नाम वाणी सा
फार में हेती हैः ।` ` यदि वेदक ईश्वरोक्त कहे ते साकारोक्त मानने
से कीसे बचेगे | तब ईश्वरोक्त कहना बड़ा अंशान सिद्ध क्यों
লঙী 8? `.
`` ७६-वेद् मँ जरे, अज्ञायत, जपावेक्षन; अपाकषन्, निःभ्वसिं
चम् । इत्यादि क्रिया पढ़ीं तब कहीं उक्त- क्रिया क्यों नहीं है!
ओर ससे वर से मन्त्र प्रेकर्ट हुए चेसे हीं [ पुरणं यज्चपा सट }
शुसोणादि ` पदेवाच्य ब्राह्मण श्रन्थ भी उंसी ईश्वर से भरकट देनो
सिद्ध है 1 ~ तश्र अनीश्वराक्तत्व हेतु मिथ्या क्यो नहीं १ ।
`: ८०-ऋऽ ० ओँ पांचवां हेतु-कत्यायनभिन्नैऋषिभिर्वेदसंश
यामखीकृतत्वात्। दिया है. सो. कात्यायन ऋषि ने ब्राह्मणों की
चेद् संञा कय ओर. कहां लिखी है १ [ मन्त्र आह्मणयोषे द्नामधयमू ]
इस आपस्तम्वीय यक्षपरिभाषा सूप को समाजी छोग अन्ध परम्परा
क अव तकं कात्यायन फां रमाण लिखते. कहते मानते रहे सो क्या
यद बड़ा अशान नहीं है ?। खा० 4० के ऐसे लेखों से क्या यह
सिद्ध नहीं है कि इन भ्रौत ध्रन्थों कौ उन ने देखा जाना नहीं था ।
: '” ८१>क््या ठुम छोग बंता संकोंगे कि किस ९ ग्रन्थ मे किस २
ऋषि ने किस २ प्रमाण से वेद 'संशां कही है । और - किंस-२ ने उस
1 चैद संशा में ध्राह्मण अन्यों को खीकार नहों किया 1 यदि यःक:
न सच॑था मिथ्याःहैःतो रेके महामिथ्या 'प्रंन्थों फो मानते हुएं तुप
लोगों को खला संकोच লা शर्म क्यों नहीं आती, ग्लानि क््यों-नहों
होती.?॥ ।
<२-खा० द०-के लेख से. जान; पड़ता है कि आपत्तम्वीय, यज्ञ-
परिभाषा के तुल्य अन्य ऋषियों ने:केचेल मृन्त्रभाग की वेद रसंला
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