प्रबन्ध-पूर्णिमा | Prabandh-Purnima
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
402
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आमुख ६
यदि लेखक का विचार रस की उत्पत्ति है ओर उसकी शैली
भावना, चित्रमयता और सावोद्रेक से भरी हुई हे तो हस उसे
व्यात्मक शेल्ली कहेंगे | कवियों के गद्य में यही शेज्नी मित्रती
है। वास्तव में जिसे गद्यकाव्य के नाम से पुकारा जाता है, वह
गद्य की काव्यात्सक शेली दी ह |
३--मनोवेज्ञानिक शेली ।
इसमे सन की सूच्स बातो का बड़ा सूक्ष्म, कभी-कभी उकता
देन वाला, विवेचन होता हे
शली मे हृदयक्तख का सी महत्त्वपूर्ण स्थान ह । रोली आर
व्यक्तित्व पर ल्लिखते हए हसते रख-न्रष्टि को शलली का एक अग
माना है, परन्त रस का सम्बन्ध लेखक की रागात्सिक दृत्ति से हे.
इसलिये इसे असल में दृदयतत्व के अन्तर्गत आना चाहिये।
मनुष्य किसी भाव को यो ही परहण नहीं कर लेता, वह उससे
आनन्द लेना चाहता हे इसका प्रभाव शेली पर सी पड़ता ই।
सच तो यह दहे कि किमी घटना के वणेन से विचार का स्थान
इतना नद दाता जिनना मावललोक्र या बाताचस्ण की सृष्टि का |
इससे विचार को स्पष्ट करने की शलली मे एक षिशेप सोन्दरयं
आ जाता है। हृदयतत्त्व की दृष्टि से भी श्री के कइ भद् करः
सकते हैं
१--भावात्मक् शैली |
इस शली को हम सवल ओर शिथिल भावात्मक लिया सं
वॉट सकते हैं | यदि भावना को बहुत अधिक उत्तेजित करने का
प्रयत्त किया गया हो, चाहे निवन्ध खाथ ही विचारात्मक क्या ने
हो, तो हम उस रोली को सवल भावात्मक गेली करगे ।
विपरीत शिथिल भावात्मक शेली वह है जिसमे भावना कां
अपकप हो, उत्कर्प नहीं |
२--रसात्मक शेल्ी ।
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