जुदाई की शाम | Judai Ki Sham
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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रामनाथ सुमन - Ramnath Suman
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अस्त्र ला ।
` . भन-भन कर मेरे पंजर पर चलाओो।
मृत्यु को मृत्यु मारे, अक्षय ये प्राण,
कर जाऊंगा इन्हें दान ।
श्युखलाएं जोड़कर
वांबो मुझे
खण्ड-खण्ड कर दूंगा एक क्षण में,
तेरी हैँ मुक्ति रे मेरी ही मुक्ति में ।
शास्त्र ला ।
आओो, मारो मुझे आओझो ।
पण्डित और पण्डित,
ऊंचे स्व॒रों से करते हैं खण्डित
द्विव्य वाणी ।
जानता हूं,
तकं-वाण
हो जाएंगे वेनिशान
मुक्त होंगे जीर्ण वाक्य-प्राच्छन्न लोचनद्वय,
देखेंगे ज्योति, दूर होगा तब तिमिर-भय ।
गत
ज्वलित करो अग्नि अब ।
आज का भला है जो
कल भले हो कालिमामय
भले वह भस्म हो
विश्वमय
भस्म हो ।
दूर करो शोक हो,
मेरी अग्नि-परीक्षा में
धन्य हो विश्वलोक अपूव दीक्षा में ।
१६
कः ৮: কপার. ৮.২.
-০- *শঙ্ক
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