सनातनधर्म और हिन्दूसंस्कृति के उद्धार की योजना | Sannatam Dharm Aur Hindu Sanskarti Ke Udhar Ke Yojna

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Sannatam Dharm Aur Hindu Sanskarti Ke Udhar Ke Yojna by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(হই). ' हिंदू जातिकी संख्या कम हो जांयगी तो हिम्दू नाम मात्रशेष रह जाँयगे १ उसका उत्तर यह है कि इस तरह सममदार मनुष्य क- दापिं अपनी जाति धर्म से विचलित नहीं होंगे और जो स्वार्थी, लभी, छाछूची, कायर तथा धर्महीन होंगे वे किसी प्रकार - की छूट रखने पर भी स्वधर्म में निश्चछ नहीं रदेगे । शाख के सिद्धांत .त्रिकालाबाधित हैं, वे महुष्य की तरंग के अनुसार कदापि परिवर्तित नदीं हो रूक्ते । उसी तरह अविचारी याचना करने वालों को थोड़ी भी छूट देने से फक ये होगा कि . “सूचि. प्रवेशे .मुशल प्रवेश:” । खिस्ती पादरी बगैरह परो- पकांरी के पुतले बनकर ७४ वर्ष -हुए हिंदुस्थान में जगह २ थाना डालकर स्कूल कालेज दुवाखानाओं तथा उद्योग्राल्यों को खोलकंर करोड़ों रुपया खर्च कर अविरत प्रचार कायं द्वाख :“हिंदुओं को अ्रष्टकरने का प्रयत्न करते हुए कहते है कि हमारी . बाईबल तथा क्राइस्ट, ऋृष्ण तथा गीता से. उत्तम है.। तुम्हारे कृष्ण. 1 काले, चोर, व्यभिचारी थे । तुम्हारे हिन्दुओं मेँ उच्च नीच काः ` भेद है, उच्च वर्णके हिन्दुएं तुम भंगी चमारों को अस्पृश्यः मानकर तिरस्कार करते है । हमारे ख़िस्ती धर्म में सब समोन है, उससे तुम हम में मिलोंगे तो जो चाहोंगे वो सुख मिलेगा । आये-हिन्दू इस देशके मूल रहने वाले नहीं परन्तु .कोकेशीअस पंबेत, उत्तर भू व, युरोप, एशिया में से यहाँ आये है और यहाँ के -




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