रामचरितमानस | Ram Charit Manas
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४.
१.८
अतिरिक्त कुछ अन्य पुस्तकों में भी गोस्वामी जी के जीवन सम्बन्धी उक्लेख
मिलते हं । उने से २२ वैष्णवो की दार्स में गोस्वामी जी का उप्लेख
बिेषसूप से द्रा ३] नन्दुदाक्षजी का वर्णन करते इण् वहाँ लिखा ई कि--
१. तंलसीदासजी नन्ददास्र जी के बड़े भाई थे ।
२, वे रामके श्रनन्य भक्त थे श्रीर काशी में रहते थे। उन्होंने भापा
में रामायण लिखी थी।
ই, गोस्वामी जी एक बार काशी से बज भ्राये वहाँ वे नंदुदास जी से
मिले ।
४. गोस्वामीजी राम के सित्रा श्रन्य किसो को सस्तक नहीं नवाते थे
वे अपनी यात्रा में गो० विदुलदास जी से भी .मिले थे ।
ताभादास जी कृत भक्तमाल में गोस्वामी जी की प्रशंसा के लिए
निम्तलिखिंत कवित्त हैं :---
कलि कुटिल जीव निस्तार हित वाल्मीकि तुलसी भयो ।
त्रेता कार्य निबन्धक्ररी एत कोटि रसायन ॥
दक श्रच्छुर . उच्चरे च्य. हत्यादि परायम ॥
श्रश्र भक्तनि सुख देन बहुरि लीला विस्तारी।
रामचरन रस मत्त र्त श्रह निरि प्रतधारी।॥
संसार अपार के पार को सुगम रूप नौका लियो।
कलि कुटिल्ष जीव निस्तार द्वित वाल्मीकि तुलसी भयौ ।
उक्त छुप्पय में गोस्वामी जो को पेवल' प्रशंसा मान्न हैं, उनका जीवन
হল নী । हाँ, भक्तमाज् पर श्रगे অন কক प्रियद्रास ने पुंऊ विस्तृत
पथार्मक टीका लिखी ह। उस दोहा सें गोस्वासी जी के जीवन हृत पर
विस्तार पूर्धक प्रकाश: ढाला गया है) उसके आधार पर गोस्वामीजो के
जीवन की सात घठताएं प्रामाणिक मानी जाने लगी हैं | वे निम्न है :---
१-- गोस्वामी जी अपनी रत्नी से अ्रध्यधिक,प्रम करते थे भौर उससे
भरस्ना पाकर हो वे विरक्त होकर काशी चले गये |
ए--काशी में उन्होंने एक-पं त को. प्रसन्न करके हनुमान जी के दशनं
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