भोजपुरी और उसका साहित्य | Bhojapuri Aur Uska Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भोजपुरी भाषा १५
क्षेत्र बहुत बढ़ा है। उत्तर में हिमालय की तराई से लेकर मध्य-प्रदेश की
सरगुजा रियासत, तक इसका विस्तार है। विहार राज्य ( प्रान्त ) में
यह शाह्ाबाद, सारन, चम्पारन, रॉची, पालासऊ जिले का कुछ भाग
शरीर मुजपफरपुर जिले के उत्तरी-पश्चिमी माग मे प्रचलित है | यह उत्तर-
प्रदेश के पूर्वी लिलो--बनारस , गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, देवरिया,
चस्ती-मे तथा जौनपुर श्रीर् श्रा्मगढ जिलो के श्राये से श्रधिक्र भार्गो
में फैली हुई है।
भोजपुरी नामकरण का कारण
भोजपुरी भाषा का नामकरण विहार राज्य के शाहाबाद ज़िले मे
মিন 'भोजपुर! नामक गाँव के नाम पर हुआ है | शाहाबाद जिले में,
बक्सर सव-डिवीजन में भोजपुर नास का एक बडा परगना है। इसी
परगने मे नवका भोजपुर” और 'पुरनका भोजपुर! नाम के दो छोटे-छोटे
गाव है। ये गाँव डुमरॉव नगर से दो-तीन मील उत्तर में गया के निकट
बसे हैं ) ये दोनो गॉव आस-पास हैं और भोजपुर! नामक प्राचीन नगर
के ही स्थान पर स्थित हैं । इसी प्राचीन 'भोजपुर! नगर के नाम से इस
भाषा का नाम भोजपुरी? पढ़ गया ।* प्राचीन काल में भोजपुर बढ़ा
समृद्विशाली नगर था | यह उज्जैन-वशों पराक्रमी राजत राजाओं की
राजघानी था। इस वश के प्रतिनिधि डुसरॉव राप्य के राजा श्राज भी
विद्यमान ६।
डॉ» बुकानन ने सन् (८१२ ६० मे शाद्षाबाद छिले में परिभ्रमण
किया धा। उसने अपने यात्रा-विवरण में लिखा है कि उस्जैन-बंशी
राजता ने बहाँ ऊे मूल निवासियों को परास्त करके श्रपना राप्य स्थापित
क्या था। इन उज्जैनी राजपूतों की उसचि मालवा क्रे मुप्रसिद्ध राजा
१ जिप्तका पश्रव विलयन हो गया है ।
२ दुर्गदक्षरत्रसाद घिह--भोजपुरी लोकमीतों में कदण रन
भूमिफा, प० १)
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