आचारांग सूत्र | Acaranga Sutra (vol-i)

Book Image : आचारांग सूत्र  - Acaranga Sutra (vol-i)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आचारांग सूत्र--अ्रथम संस्करण के प्रकाशन में विशिष्ट अर्थ सहयोगो श्रीमान्‌ सायरमलजी व श्रीमान्‌ जेठमलजी चोरजडिया [संक्षिप्त परिचय | एक उक्ति प्रसिद्ध है--“ज्ञानस्य फलं विरतिः ज्ञान का सुफल है-वैराग्ब । वेसे ही एक सूक्ति है--/“वित्तस्य फल वितरणं--धन का सुफल है--दान! पात्र में, योग्य कार्य में श्रथं व्यय करना, धन का सदुपयोग है । नोखा (चांदावतों का) का चोरडा परिवार इस सूक्तिका ्रादशं उदाहरण है! मद्रास एवं बेंगल्र श्रादि क्षेत्रों में वसा, यह्‌ मरुधरा का दानवीर परिवार भ्राज समाजसेवा, शिक्षा, चिकित्सा, साहित्यप्रसार, राष्ट्रीय सेवा श्रादि विभिन्न कार्यो में मुक्त मत से और मुक्त हाथ से उपाजित लक्ष्मी का सदुपयोग करके यशोभागी बन रहा है 1 नागौर जिला तथा मेड़ता तहसील के अन्तग्रेत चांदावतों का नोखा एक छोटा किन्तु-सुरम्य ग्राम है । इस ग्राम में चोरड़िया, वोधरा व ललवाणी परिवार रहते हैं। प्रायः सभी परिवार व्यापार-कुशल हैं, सम्पन्न हैं। चोरड़िया परिवार के घर इस ग्राम में भ्रधिक हैं । चोरड़िया परिवार के पूर्वजों में श्री उदयचन्दजी पूर्व-पुरुष हुए । उनके तीन पुत्र हुए--श्री हरक- चन्दजी, श्री राजमलजी व श्री चान्दमलजी । श्री हरकचन्दजी के एक पुत्र थे श्री गणेशमलजी | श्री राजमलजी के छ: पुत्र हुए--श्री ग्रमानमलजी, श्री माँगीलालजी, श्री दीपचन्दजी, श्री चंपालालजी, श्री चन्दनमलजी, श्री एूलचन्दजी । श्रोमान्‌ राजमलजी श्रव संसार मे नहीं रहे । उनका पुत्र-परिवार धर्मनिष्ठ है, सम्पन्न है । श्री राजमलजी के ज्येष्ठ पुत्र श्री गुमानमलजी मद्रास जंन-समाज के एक श्रावकरत्न है । त्याग- वृत्ति, सेवा-भावना, उदारता, साधमि-वत्सलता श्रादि गुणों से भ्रापका जीवन चमक रहा है। श्री गणेशमलजी जव छोटे थे, तभी उनके पिता श्री हुरकचन्दजो का देहान्तं हो गया! भाता श्री रूपी बाई ते ही गणेशमलजी का पालन-पोषण व शिक्षण आदि कराकर उन्हें योग्य वनाया । श्री रूपी वाई बड़ी हिम्मत वाली बहादुर महिला थीं, विपरीत परिस्थितियों मे भी उन्होने धर्म-ध्यान, तपस्या श्रादि के साथ पुत्र-पौनत्नों का पालन व सुसंस्कार प्रदान करने में बड़ी निपुणता दिखायी । श्री गणेशमलजी राजमलजी का पिता के तुल्य ही श्रादर व सम्मान करते तथा उनकी श्राज्ञाग्ों का पालन करते थे । श्री गणेशमलजी की पत्नी का नाम सुन्दर बाई था। सुन्दर वाई बहुत सरल व भद्र स्वभाव की धर्मशीला श्राविक थीं। अभी-अभी आपका स्वर्गंवास हो गया । श्री गणेशमलजी के दस पुत्र एवं पुत्री हुए जिनके नाम इस प्रकार हैं--श्री जोगीलालजी, श्री पारसमलजी, श्री अमरचन्दजी, श्री मदनलालजी, श्री सायरमलजी, श्री पुखराजजी, श्री जेठमलजी, [ ०9४७ 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now