जैन भजन संग्रह | Jain Bhajan Sangrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jain Bhajan Sangrah by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १३ .) ६ छव दण्डक किण मं पावे ? वसकाय में লদ- सक मे पावे-१; १७, १८, १९, २०; २१। ७ सात दण्डक किंग सै' पावे १ कोरा अचक्त दशन में पावे-१२९, १३, १४, १५, १६, १७; १८ । | ८ आट दण्डक किण मेँ प्रावे १ कोरा चसन्नौ मे पावे-१२. १३, १४, १५, १६, १७, १८, १९ । € नव दर्डक किंग से' पावे ? तिथेच में पावे- १२६२० तांड। १० दश दश्डक किण मे' पावे ? प्रसन्नौ में पावे- १२ ै,२१ ताद। ११ दग्यारह दण्डक किण मे पवि ? नपुसकं बेद में पावे ( १३ देवता का ठला ) । १९ बारह दण्डक कियण मे দান? गभं बिना. सन्नो कष्ण लेश्या में पावे-१ से ११ तांडे, १ बाईससों । १३ तेरह दण्डक किंण में पावे ? सर्व देवता में पावे-२ से ११ तांई, २२, २३, २४, १४ चवदह दण्डक किण में ঘানি? জীহা, অলী से पावे- १३ देवतां रा, १ नारकौ रो। १५ पन्द्रह दर्डका .किण सें. पावे.? स्त्रोवेद में




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now