व्यंग्य विधा के पारिप्रेक्ष्य में हरिशंकर परसाई साहित्य का मूल्यांकन | Vyang Vidha Ke Pariprekshya Me Harishankar Parsai Sahitya Ka Mulyakan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21.12 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अजय कुमार पांडेय - Ajay Kumar Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हुए कहते हैं- विनोद कालिन्दी की आनन्द लहर है और व्यंग्य बरसाती गंगा की उफनती धारा का कालग्रासी भँवर। विनोद साहित्य का कान्ता सम्मित रस है और व्यंग्य गुलाब के नीचे का काँटा। डॉ. शेर जंग गर्ग ने उद्देश्य की कसौटी पर कसते हुए हास्य एवं व्यंग्य का अन्तर इस प्रकार बताया है - हास्य निष्प्रयोजन होता है और यदि उसका कोई प्रयोजन होता है तो यह निश्चय नहीं होता। हास्य और व्यंग्य के सम्बन्धों को डॉ. बालेन्दु शेखर तिवरी ने इस प्रकार से व्यक्त किया है हास्य सुन्दर की कामना करता है और व्यंग्य लक्ष्य की पुकार करता है स्पष्ट ही हास्य की अपेक्षा व्यंग्य में तेजी और गर्मी होती है। हास्य और व्यंग्य को प्रयोजन के आधार पर ही अलग किया जा सकता है। हरिशंकर परसाई ने इसे इस प्रकार व्यक्त किया है आदमी कुत्ते की बोली बोले यह एक विसंगति है। वन महोत्सव का आयोजन करने के लिए पेड़ काटकर साफ किये जाँय जहाँ मन्त्री महोदय गुलाब के वृक्ष की कलम रोपें यह भी एक विसंगति है। दोनों में भेद है दोनों में हँसी आती है। दाँत निकाल देना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है। हास्य और व्यंग्य में मुख्य अन्तर लक्ष्य और दृष्टि के कारण है। एक में विसंगति का लक्ष्य हास्योद्रेक होता है तो दूसरे में विसंगति चित्रण द्वारा विकृत स्थिति विकृत मनोवृत्त विकृत स्वीकृत पर प्रहार है। एक में विनोदी स्वभाव वश विकृति का चित्रण है तो दूसरे में गहरी सूझ- बूझ के परिणाम स्वरूप विकृति का प्रदर्शन है। हास्य स्वभाव की विनोदप्रियता के कारण हो सकता है परन्तु व्यंग्य परिवर्तनकामी चेतना तथा गहरी सामाजिक दृष्टि को साथ लेकर चलता है। हास्य केवल मनोरंजन के कारण होता १... साप्ताहिक हिन्दुस्तान - २४ मार्च १९६८ पृष्ठ ८ २.. डॉ. शेर जंग गर्ग - स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता में व्यंग्य पृष्ठ २९ ३... डॉ. बालेन्दु शेखर तिवारी - हिन्दी का स्वातन्त्रयोत्तर हास्य एवं व्यंग्य पृष्ठ-५९ ४... हरिशंकर परसाई - सदाचार का ताबीज कैफियत
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