श्री जवाहर किरणावली [भाग-5] | Shri Jawahar Kirnawali [Bhag-5]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एकादशोत्तर यअघस्तनेषु सप्तोत्तरं शतं च मध्यमके |
शतमेकं उपरितने पंच. एवं अनुत्तर विमानानि ¡|
प्रश्न-भगवन्! कितनी पृथिवयां कही हैः
उत्तर-हे गौतम! सात पृथ्वियां कही हैं। वह इस प्रकार है-रत्तप़्भा
यावत् तमस्तमाप्रभा।
के रहने के स्थान-कहे है?
उत्तर-गौतम! तीस लाख निरयावास कहे हैं। सब्र पृथ्दियों मे
निरयायवासो की संख्या बतलाने वाली गाथा इस प्रकार है-णहली न्ट मे
तीय लाख, दूसरी मे पच्चीस लाख, तीसरी मे पन्द्रह लाख, चैन म दस् टःस
पाचवी मे तीन लाख, छटी मे पांच कम एक लाख ओर साठी मे हिणः एद
निरयावास कहे गये है।
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