पारिवारिक समस्याएँ | Parivarik Samsyayen

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Parivarik Samsyayen by सावित्री देवी वर्मा - Savitri Devi Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह प्रिय बन्धन ५ कुलीनता कौ छाप मनुष्य परं श्रवश्य पडी होती है, ग्रतएव उसकी श्रादते जो कि स्वभाव का ही दूसरा रुप हे घर के सस्कारो से प्रभावित हुए विना नही रहती | कुलीनता तथा विक्षा प्रत्येक व्यक्ति का दृष्टिकोण, आदर्ण, विचार तथा ध्येय निर्धारित करने में बहुत ह॒द तक जिम्मेदार होती ह। आथिक स्थिति को दृढता भी धर-घराने कौ सामाजिक मान-मर्यादा द्वारा ही परखी जाती है, अतएव इन सव वातो को प्रखने का काम व॒जुर्ग और अनुभवी माता-पिता पर ही छोडना ठोक होगा। पर एक दूसरे का रुप और अभिरुचि तथा स्वभाव की विशेषता और ग्राकपंण परखने का मौका वर ग्रौर वन्या को श्रवदय दिया जाना चाहिये। स्वभाव और गुणो में कभी-कभी भिन्नता होने पर भी, कई पति-पत्नी वहुत सफल और सुखी दम्पति पाये गये है । कहते है, भिन्नता और नवीनता में आकर्षण अ्रधिक तीब्र होता हैं । अगर कोई परुष श्रधिक उद्यमी तथा चुस्त हं, उमम तात्कालीन व्यवहार युद्धि प्रधिवः है, तो उसका एसी स्त्री के सग, जो अपना भार पति पर डाल, लाड- दलार मे अपने को भूल, एक ग्ाज्ञाकारिणी वालिका के सदृथ रहना पसन्द करती है, अधिक सफलतापूर्वक निर्वाह हो सकता हूं । इसी प्रकार गृह-कार्य में दक्ष, कत्तेव्यपरायणा नारी पाकर एक वेपर- वाह, काम में भूला रहने वाला पति अपने को धन्य समभता है । ऐसे पति- पत्नी परस्पर एक दूसरे के पूरक वन जाते है । पालको को चाहिए कि लड़के ग्रोर लडकी का रूप, गुण, आय, स्वास्थ्य, रचि, आदर्ण तथा ध्येय को ध्यान में रखते हये तदनकल ही जीवन-साथी ভুহন নদী চা নল । सनतानक भी यह धर्म हं कि मॉ-वाप के अननव से पूर्ण लाभ उठाकर अपने जीवन-संगी वगे परखे । केवल प्रधम आकर्षण से जो प्रेम उत्पन्न होता वह क्षणिक और वगमनापूर्ण होता हैं । ऐसी चकाचौध से अधे होदर जो साथी हंटा जाता हैं उसवी कट झसफलता जीवन नर खठकती रहती हैँ । याद रबे आपने न केवल




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