एक पायलेट बेटे के पत्र | Ek Pailet Bete Ke Patra

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Ek Pailet Bete Ke Patra by सावित्री देवी वर्मा - Savitri Devi Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पयलेट बेटे का पत्र 5 नफल बनाया । सुना है विनोद को भी कोसेँ पर से कॉल कर लिया गया है । उसका पत्र आया था । वह इस समय स्यालकोट के क्षेत्र मे लड रहा है। उसने लिखा है कि जालन्धर अमृतसर फिरोजपुर जहाँ-जहाँ से भी हमारे जवान गए जनता ने उसका स्वागत किया उन्हे प्रोत्साहन दिया । हर जगह उनके लिए चाय-पानी ग्म-गर्म॑ भोजन लेकर माताएँ ओर बहने इन्तजार करती मिली। स्कूल श्रौर कालिज के लडके-लड़कियों ने उन्हें उपहार-पैकिट दिए । हमारे जवानों को मॉ-बहुनो के इस सहयोग श्रौर लुभकामनाओओ से बडा प्रोत्साहन मिला । बहिनों ने सीमा पर उनकी श्रारती उतारी उनके माथे पर तिलक लगाया उनके राखी बाँधी श्रौर कहा-- भैया यह विजय-तिलक तुम्हे यदस्वी बनाए यह राखी कवच बन कर तुम्हारी रक्षा करे भारत माता की लाज तुम्हारे हाथ है जयहिन्द के नारो से श्नाकाश गूँज उठा । विनोद ने लिखा है कि हमारे जवानों के हृदय गदगद हो गए उनमें मानों अझदम्य साहस श्रौर वीरता की भावना उछालें मारने लगी श्र देश की श्रान-बान बनाए रखने के लिए हमारी पलटने मार्च करती हुई श्रागे बढ रही है । शेष समाचार फिर-- ्रापका बेटा जे० के०




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