हिन्दी गद्य पद्य संग्रह | Hindi Gadya Padya Sangrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Gadya Padya Sangrah by Ramnath shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनाथ शाश्त्री - Ramnath shastri

Add Infomation AboutRamnath shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हू 5...) उदय नहीं हुश्रा । श्र जिस श्रगले श्राथे में प्रकाश है, मघुर श्रोर शीतल चांदनी दै, उसे हम नये साल में लेकर श्रागे. बढ़ते हैँ । श्ाज् प्रतिपदा दै । श्राज चन्द्रमा की एक भी किरण हमें नहीं मिलेगी । फिर भी झाज ही हम यद वर्षोत्सव मनाने चले दें । हम जानते हैं, इस श्न्वेरे के आझागे दी प्रकाश प्रकट हो पढ़ेगा । इसी श्रद्धा को लेकर हमने इस मधु-मास का खण्डी-करण किया हैं। श्राज का दिन श्रस्खण्द को, श्रनन्त को, शथ्परिमित को मुट्ठी में लेकर देखने का है । श्रपने को तटस्थ करके काल से श्वाज हमें यह कहना द्द ढद्दरो, रुको तो ! इथेली पर उठा कर श्राज हम तुम्हारी तौल करना चाहते हें । --श्री सियाराम शरण गुप्त ( “भूढठ सच' से )




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now