जहां चाह वहां राह | Jaah Chah Vah Rah
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसके ध्यान भी जा किं एक नवीन पौणी
पढ़ लेने से उन्हे आ्थिकछाभ तो कुछ भी होगा नही,
नवे अगे अध्ययन हो कर संक्रमे । फलयह होगा
कि कुछ दिनों बाद वे फिर कोरे के कोरे रह
जाँयगें ।॥ एक बार सरकारी आंकड़ों में भले हो
संख्या दिखाई जाय कि इतने प्रौढ़ साक्षर कर दिये
गये है । पर उन्हें वास्तविक छाम इस साक्षरता से तो
मिलना नहीं है। इस कारण वह उनकी बात सुन कर चुप
हो जाता | पर बहू अपनी बात का धनी थर । वह आगे बढ़
कर पीछे हृथ्ना नही जानता था । उसने अपने दिमाग
में यह जचा, लिया था कि इस मोहल्छे को तो
साक्षर करके ही हटना है, पर अपने इस महत्वपूर्ण
एव पवित्र कर्तव्य को पूरा करे तो करे ङम, यह
सार्मे उसकी समझ में नहीं आ रहा था । उसने कई
नामी बिद्दानों की क्षरण জী, पर राम कुछ नहीं
हुआ । किसी ने भी मोहल्ले में एक दिन भी आकर
उन लोगों को समझाने का कष्ट नहीं किया ।
स॒मप्ज--सेवी सज्जनो कै द्वार भी सट-खटाये 1 ० उप
निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक महोदय से भी
अपनी व्यथा सुनाई, पर उसको विमारी का इलाज
करना किसी ने भी स्वीकार नहीं किया । वह रोज
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