हिंदी के पौराणिक नाटकों के मूल - स्रोत | Hindi Ke Poranik Natako Ke Mool - Srot

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महासारतधारां चतुथ अध्याय १७३ २२४ १ जनमेजय कां नागयच १७३ पचम भ्रध्याय २२५२३११ मल दमयती कथां २२६ (क) दमयती स्वयवर,(ख) नल दमय-ती नाटक, (ग) भ्रनध नल चरित, (घ) चूत फा भूत श्रयवा नल चरिय, (ट) दमयतो-स्वयवर, (च) नन दमयती, (छ) नल दमयती साविती-सत्यवान क्या २३६ (क) सती प्रताप, (ख) दील साविनी, (ग) सावित्री (घ) सावित्री सत्यवान, (ड) माविनी-मत्यवान, (च) साविती-मववान देवपातोटाभिष्ठा कया २५० (क) देवयानी (ख) देवी देवयानी, (य) देवयानी, (घ) शेमित्रा द्रौपदौ स्वयवर २४६ (क) द्रौपदी स्वयवर ज्वालाप्रसाद नागर (ख) द्रौपटी स्वयवर राषेश्याम क्यावाचक पाण्डव प्रताप अथवा सम्राट युविष्ठिर २६२ वचन का मोल २६३ कृष्णापमान २६४ द्रौपदी वस्थ्रहरण २६४ श्रनातमास २६५ मीम प्रतिना २६६ फोचक्न-वप--.. २६७ (क) कीचक, (ख) मीम विक्रम 'राजतिलक भर्या किराताजुन युद्ध २७० विद्रोिभी भम्बा २७२ भीष्म चरित २८३ (ब) मीप्म (ख) मीप्मब्रत (ग) गगाकावदा समद्रा परिणय रत्य পঙ্গু ঘ্ীশির টি २६५




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