सोहलवीं सदी मे राजस्थान | Sohalavi Sadi Mein Rajasthan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मनोहरसिंह राणावत - Manohar Singh Ranawat
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)স্টিল ৮ ন্
आर मालवा के, मंवाड के पडास म भी थे । वे मेवाड को जीतने वे लिये एक
भो हो गये थ तो भी मेवाड का बुछ नही कर सक्त ই, নানি
महाराणा पुर व्यवस्था के साथ हर समय तैयार रहता था। कहते हैं कि
महाराणा ने १८ दाद्या म लिप्ती मालवा और गुजरात थी सेना पर
फतह पायी थी ।
उस वक्त मदनीराय मालवा के वादशाह महमूद खिलजी का बजीर था।
उसने बडे परिथ्रम स अ्रपन स्वामी वा भ्रधिकार सम्पूणा राज्य म॑ जमाया
था । परतु महयुट खिलजी धार्मिक कारण स॒ ईरप्या रखता या अर् उस्म
चढत हुए प्रभाव का समाप्त करना चाहता था! अत सम्वत् १५७४ म वह्
माहू से अकेला भाग कर ग्रुजरात के शासक सुत्तान मुजफ्फर के पास गया
और उसकी फौज मेदवाराय पर नढा लाया। मदनीराय ने महारागा के
पास आकर सहायता मागों। भहाराणा मंल्नीराय की महायताथ सारगपुर
हब पहुँचा । वहा माह कर क्लेदार हमकरणों मुजफ्फर से लडाई हार वर
झ्राया। महाराणा उस समय ता दोना का साथ जेकर पुन चित्तौड लौट
সামা । बाद म॑ सना भेज कर मेदनतीराय का चदरी और हमकरग कौ
गागरास के क्तो पर अधिकार लिता लिया। इसे पर महमुृद खिलजी से
झ्रपनी और गुजरात की सना साथ लेकर उसा वष गरागरान ओर अदरी
पर चटाह कर दी । हमक्रण पराजित होकर बदी बना लिया गया झोर
वादम उसकी हत्यां चर दी गयी। मतनोराय न भेंट-उपहार भज कर
महारास्था का अपना भहायताथ आमत्रित क्या। महमूद खिलजी ने
महाराणा का मुकाबला क्या और दुछ हा समय भ उमे (महमद खिलजी)
ইং सरटार भौर बहुत से आदमी शौर ५०० गुजराता अपने श्रधिकारिया
के साथ मार गय। महमूद खितजी घायत्र हा गया श्रार वद वना जिया
गया ।” महाराणा न दया कर उसका सम्मान के साथ रखा और“ जख्मा का
इलाज करवाया । जव चह चमा हौ ग्वा ता एक हजार व्यक्ति के साथ
उसा पुन मादू भज तिया। परतु उसके दाता हांशगशाह की जड़ाऊ पढ़ी
और टोपी জী बडुमूल्य थी वापस नहीं वौटायी । मकर साथ हो रग्पथभार
गागरान काठपी आर भेलसा के क्तिं भी ले विय | इसी तरह अजमेर
१ माशत इ सिवाल्या मे भोमकरण' लिखा है। (स०)।
२ १५१९ ई० वी घटना ह् 1 (सर)
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