डॉ. मनोहर शर्मा का राजस्थानी साहित्य को योगदान | Dr.manohar Sharma Ka Rajasthani Sahitya Ko Yogdan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ (ल) “मारवाडी सम्मेलन वम्बई (सा हह७६) 0४5 ঠিক ष ৭
कं ৪ = 1
(ग) राजसवानी भाषा साहिप्य संगर्म' बीकामैर (सन् १६७६-७७) রি
(२) धोरा रो सगीत
श्वर रो समीत! काव्य संवछत पर “मारवाडों सम्मेलन बाई” का ५
वागेशवरौ” पुरस्कार (सन् ६६८०) |. ০০
(३) बाल-बाड़ी
॥1
खाल - बाडी লামধ' बाल कथाथों के संग्रह भस्तर्राष्ट्रीय থা ই কি
अन्तर्गत 'राजस्थानी भाषा साहित्य सगम बीकानेर! का पुरस्कार (सन् १६४६-४०) °
न
सम्मान एवे श्रमिनन्दन
५
राजस्पान साहिदय प्रकादपी, उदयपुर हारा विशिष्ट साहित्यक ने रूप
में सम्मानित (सन् १६६७-६८)
श्वी सगीत भारतौ, बीकानेर द्वारा सम्मानित तथा लोक-फला एव लोक
साहित्य की सेवा हेतु 'कला श्री! उपाधि से भ्रलकृत (सन् १६७०)
राजस्थान रचनाकार दिल्ली” की श्रोर से “प्रमुख राजस्थानी साहित्यकार
के रूप म॑ सम्मातित एवं पुरस्कृत (सन् १६७६)
साहित्य परिषद, लक्ष्मशगढ़” की झोर से सम्मानित (सन् १६७५)
श्री तरुण साहित्यन्परिपद् विषाऊ की प्रोरसे प्रभिनन्दनं प्रथः एव
सम्मान राशि मेंट (सन्, १६७८} + न
व
राजस्थान के विद्वानों कौ दृष्टि में डा. मनोहर जी
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1. थी कन््हैयासासजो सेठिया वे झनुसार-- 'डा० शर्मा रोजस्थानी भाषा रा
लूठा छिखारा, पिमतावान कवि भर मायड भागा रे खातर घूणी रमागिया मोटा
तपप्ती है) छोक साहित्य रे सत्र मे थां रो योगदात पणमोलो है।'8 ` ! 1
डा० महेन्द्र जो भानावत के भनुसार-- 'डा०_मनोहर शर्मा सुवेखक है,
साफ लेखक हैं। सज्जन, सरल झोर सहज लेखक हैं । उाबे लेखन मे जहा सरसता ०
है, वहीं सम्पन्नता है, माधुयं है, चित्राईमवता है, मोहक्ता है, सजीदगों है, एक ,
निरन्तरता का भाव है। वे हिन्दो, मस्कूत शोर राजस्थानी तौनों में लिखत हैं भौर
हर दिघा के विद्वात हैं ।”* +
८ ड्ा० मनाइर धमा पनिनस्दनम्रय, पर ध्वहीप् ११ '
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