राजस्थानी वेलि साहित्य | Rajasthani Veli Sahitya

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Rajasthani Veli Sahitya by नरेन्द्र भानावत - Narendra Bhanawat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छ राजस्थानी वेलि साहित्य कठोपनिपद में दो अध्याय और छह वल्लियाँ है। तेत्तिरीय उपनिषद्‌ के सातवे, आठवे और नवमे प्रपाठक को क्रमश 'शिक्षावल्ली', 'ब्रह्मानद वलली”' और भूगुवल्ली' कहा गया है! । आ्रागे चलकर वल्ली सज्ञक कई रचनाएं लिखी गई । उनमे से कुछ के नाम इस प्रकार है - ८) विकरेति वल्ली व्यालि वेदलक्षण पद्रति कत्पवल्ली १० विट्ठल दीक्षित ज्योतिष सयं सिद्ान्तसव्याख्य कल्पवल्ली ' 'व्याव्यल्लय ज्योतिष चण्डी सपर्या क्रम कल्पवल्ली? श्री निवास देवी-तत्र मथुफरेलि वत्ली१3 गोवर्धन भट्ट काव्य सपर्या क्रम कल्पवल्ली १ * वीरभद्र जेन धमं ६ रचना-नाम रचनाकार रचना-विषय (१) कठवल्ली उपनिषद्‌? - उपनिषद्‌ ( (3) श्रम्ूजवल्ली कल्याणम्‌ * श्री निवास कवि नाटक (४) श्रम्बुजवल्ली दण्डकम्‌ * - स्तोत्र (५) चातुर्मास्यव्रत कल्पवल्ली ° विरूपाक्ष व्रतकल्प (६) द्रव्यगुण कल्पवल्ली ~ वेद्यक (७) नानार्थ कल्पवल्ली बेकट भट्ट विशिष्टाद्व त (5) ( ) ) ) ) ) पडवल्ली उपनिपद्‌3 ~ उपनिषद्‌ ( ( (१२) (१३)




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