यह कैसा मजाक है | Yeh Kaisa Majak Hai

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Yeh Kaisa Majak Hai by मदन डागा - Madan Daga

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुर्सी-प्रधान देश पहले लोग सठिया जाते थे अब कुर्तिया जाते है ! दोस्त मेरे ! भारत एक कृपि-प्रधान नहीं कुर्सी-प्रधान देश है ! हमारे संसद-भवन के द्वार में कुछ स्थ्रिगें ही ऐसी लगी हैं कि समाजवादी पासा फेकनेवाले सेठ की कार आते ही संसद का द्वार अपने आप खुल जाता है और, हम गरीबो को देख चट बन्द ही जाता है ! दोस्त मेरे ! तुम्हारा और मेरा ही नही कार और द्वार का भी अन्तरात्मी नाता है ! उधर सचिवालय की नाक के नीचे फटे तम्बुओं में लगनेवाले स्कूलों में जो बच्चे मिमिया रहे हैं यह कसा मज़ाक है / 17




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