धारा बहती रही | Dhara Bahati Rahi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तह मेरी भी जबदस्त इच्छा है दिः आप जिंदा रहू, ययोकि जीवन से बढ़ कर
इस दुनिया मे और कोई चीज नहीं है}
'वेवासि है 1 सरामर बकवास | '--युवक ते कहा ।
“कहा न, विशेष पृरिस्थितियों के वागरण इस समय आम को एसा लग
रहा है ।” युत्रतो को आवाज अतिरिक्त नम हो आयी थी ।
धारा बह रही थी। चादनी के कारण वह बिल्शुल चादी सी लग रही
थी 1 उनकी तरणो म गूनगुनाहट सी यजे रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे
चह गा रही हा ।
युवक ते पहचानी नजरों से गौर से उसकी और दंखा। उस्ते वद शालू मी
ही मोहक ओर प्यारी लग रही थी ।
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