गुनस्थान दर्पण | Gunasthan Darpan

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Gunasthan Darpan by शांत मूर्ति - Shant Moorti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| मोग मिध्याल मे ही अव्यक्त मिध्याख होता है वा की चार मिथ्यात्वोम व्यक्त मि-यात्र हेता दे प्रस मस्ते कमदा ८ मिध्याखो का वर्णन कद्ते है! २ अजिग्रद मिथ्यात्व.--एसके उठयसे केवल कुदेव, गुरु ओर धर्म पर श्रद्धारक्खे ओर कुठनी न समक्त ए अनलज्िग्रह मिश्यात - घ्सके उदय सं जीवको किस) परी आद्‌ नदी दत्ता चाहे सदेव, गुरुधम दोयादे केव गरुधर्म दो पर्वपर श खा चरावर दात हं । ३ अजिनिवेशिक मिथ्यात्व -इसके उठय से प्राणी सच्ची बात कोजानता हवा जी अपनी म न कब्पना से मिथ्या प्ररूपण करता है तथा अपने पकमे हुवे हृछबादको नहीं ठोरता किसी कावरैनेठी क कहा है ५




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