सचित्र शुद्धबोध | Sachitra Shuddhabodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( उ )
ভিন 1
वाचकवृन्द इस बात को नहीं जानते हैं कि इस चरितात्मक
पुस्तक के प्रकाशन में ही हमको किन असुविधाओं का सामना
करना पड़ा है । आयेसमाज में संस्कृत के उदच्चकोटि के संमान्य,
संभ्रान्त विद्वान के चरित्र को लिखने व प्रकाशन करने का प्रथम
ही प्रयत्न हे ।
यह वात अत्यन्त दुःख से लिखी जायगी कि आयसमाज में
उन उन विषयों के निष्णात पारद्भत परिडतों की प्रतिदिन न्यूनता
ही होती जा रही है । आयेजगत् में जो भी पस्डित हुआ अपने
जैसा अकेला ही हुआ , उसके दिवंगत हो जाने के पश्चात् उसके
रिक्त म्थान को लेकर काय निभानेवाला कोई नहीं हुआ | स्वर्गीय
१०८ श्री स्वामी शुद्धबोधतीथ जी अपने दंग के अद्वितीय विद्ध
भरे | महाभाष्य जेसे शआआकर-प्रन्थ को हस्तामलकवत् पदति थे ।
व्याकरणशाख (नव्य व प्राचीन, दोनों) को अधिकारग्रयुक्त
वाणी से पढ़ाते थे ।
यद्यपि आपकी प्रसिद्धि व्याकरणशासत्र के कारण थी तथापि
न्याय, वैरोषिक, सांख्य, योग, वदान्त के भन्थोँको बड़े चाव से
पढ़ाते थे। ऐसे दिग्गज पण्डित का स्थान न जाने कब तक
खाली पड़ा रहेगा ? आप प्राचीन ढंग के परिडत थे और आप
की अप्रतिम विद्गत्ता की सनातनी पौराणिक पण्डितों में भी धाक
थी । श्री स्वामी जी की प्रबल इच्छा थी कि आयेसमाज में
पट्शाम्नों व वेदों के विद्वानों की संख्या सहस्नों तक पहुँच कर
उसका गौरव सवंत्र प्रसारित हो ।
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