राजविलास | Rajvilash
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजबिलास ।
जल बहत जोर पैलहलत खाल , पयचार पतत
दगगग ग्रनाल । पष्पीह चीह पिउठ पि पुकार,
भूरूह विहस्णि झट्टार भार ॥ ४३ ॥
সাল सिहरि घन घवझबार , पुहयी सुर्य
जल यल अचार ॥ नीलांणी घर वरथंत नोर, चितरंग
सानि मनु पहरौ चीर ॥ ४४ ॥
महिथल सुरग उपजे समेल, अति अरुन अंग*
कमल आमल ॥ बगपंति श्यास बहूल बिहार, हिय
सध्य पहरि सनु सुत्ति हार ॥ ४४ ॥
सब हलकि चली सलिता संपूर, बज्जंत মাহি
लग्गत विधूर । उछलंत छोल ऊचल अपार, पय
यकित पथिक को लहय पार ॥ ४६ ॥
निय्यमिक बलन न लगंत नाव, ठट उपठ दहत
अति जोर ताव। भोरह परंत लागंत भीर, तरुवर
उषारिलें चलिय तीर ॥ ४७ ॥
নিঘর্থম नौर नौरधिन माय, रवि चंद शर राणी
सुद्ाय। हलहलत भरित सरवर टिलार, रव समि
परत न भेक रोर ॥ ४८॥
डहडहत हरित डंबर डहहछु, के फिल करंत उपवन
कुह । मालतो कुन्द केतक़ी मूल, फूले सुवृक्ष चंपक
सफूल॥ ४८ ॥
गिरि . नेदि शृूज्ञ किय गलस गात, रिप्ार्ण
म्
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