आधुनिक गीति - काव्य | Adhunik Geet Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)নে आधुनिक गीति-काव्य
पाश्चात्य गीतों में कवि का व्यक्तित्व प्रधान रहता है । उसने संसार
में जो कुछ देखा-सुना है उस पर अपने व्यक्तित्व का रंग चढ़ाकर
पाठकों के समक्ष रखता है। ऐसी दशा में यह भी सम्भव है कि उसका
अपना अनुभव लोक के अनुभव से भिन्न हों। गीव और लिरिक की
रूप रेखा अधिकांश एक-सी होती है, केवल व्यंजना प्रणाली भिन्न
होती है ।
हमारे यहं व्यक्तित्व की प्रधानता पर इतना जोर नहीं दिया जाता
क्योंकि भारतीय कबि की अनुभूति सदैव लोकानुभूति से मिलती रही है ।
किसी भी साहित्य में गीतों के दो रूप देखने को मिलते हैं---
लौकिक गीत और साहित्यिक गीत । निश्चय ही साहित्यिक गीतों से
बहुत प्राचीन लौकिक गीतों का इतिहास है। कितनी ही जातियों के
लिए ये लोकिक गीत ही श्रतिः है जिनमे उनकी प्राचीन सभ्यता
रक्तित है |
लौकिक गीत उतने ही प्राचीन हैं जितनी प्राचीन है मनुष्य जाति |
जब से मनुष्य ने बोलना सीखा स्यात् तमी से वह मधुर ध्वनि को प्रेम
कने लगा जिसके फलस्वरूप कोमल गीत प्रस्फुरित हुए } वाणी के
साथ माधुयं का सम्मिलन दी इन गीतों का उद्गम है । तन से लेकर
आज तक यह लोक-गीत-घारा अजख्र रूप से प्रवाहित होती चली श्रा
रही है जिससे जन साधारण' को सर्वंदा तृप्ति मिलती रही है।
संस्कृत, प्राकृत, अपम्रंश तथा अन्य भाषाओं में लोकगीत रहे हैं
ओर हिन्दी में मी इनकी कमी नहीं है। जनसाधारण के गीत परिडतों
के गीतों से मिन्न होते हैं--एक लौकिक गीतों का प्रेमी है तो दूसरा
साहित्यिक गीतों का | हमारे देश में आय और अनाय॑ दोनों जातियों
के पास लोकगीति-निधि हैं | जहाँ हम ब्रज और भोजपुर के मनोहर गीतों
से परिचित हैं, वहाँ हमें यह भी जान लेना चाहिए कि कोलों, मोंडों
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