नवनिधि | Navanidhi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दै नवनिधि [ जायसी
पदुमावति राजा कड वारी । पदुम-गघ ससि विधि अउतारी ॥
ससि-मुख अंय मलय-गिरि रानी । कनक सुर्गध दुआदस वानी ॥
हहि पदुमिनि जो सिंघल मादौ । खुर्गेध सुरूप सो तेर्हि कड छाहों ॥
दीरा-मनि हँ तेहि क परेवा । कोटा पट करत तेहि सेवा ॥
अडउ पाणडं मातुस कड भाखा । नाहि“ त पंखि मूटि भर पोखा ॥
जड दहि जि राति दिन सवरि मरडं ओहि नाई ।
मुख राता तन हरिर दुर जगत पड जाड ॥
चौपाई
हीरा-मनि जो कर्वेल बखाना। सुनि राजा होई भर्वेर भुराना ॥
अगे आड पंखि उजिआरे । के सो दीप पनिग के मारे ॥
रहा जो कनक खुबाखिक ठाऊँ। कस न होए हीरा-मनि ना ॥
को राजा कस दीप उतंगू। जेहि रे खुनत मन भणउ पतंगू ॥
खनि सरो समुद चख मए किलकिला । कर्वैँखहि च भर्चेर होइ मिला ॥
कह सुगंध धनि कस निरमरी । दहं अलि संग कि अव-ही * करी ॥
अड कडु तरह जो पदुमिनि कोनी । घर धर सव के होषि“ जस होनी ॥
सवद बखान तहा कर कहत सो भो सई आड ।
चट दीप वह देखा सनत उखा तस चाड ॥
चौपाई
का राजा ইত बरनडें तासू। सिघल-दीप आहि कबिलास ॥
जो गा तहाँ भुरानिड सोई। गइ जुग वीति न बहुरा कोई ॥
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