एक जीवन्त अधिकार - पत्र | Ek Jeevant Adhikar Patra

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Ek Jeevant Adhikar Patra by विश्वदेव शर्मा - Vishvdev Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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19 एक जीवन्त भ्रधिका र-पत्र की उपयुक्त प्रक्रिया के बिना किसी व्यक्ति को उसके प्राण, स्वतंत्रता या सम्पत्ति से वंचित नहीं करेगा। चौदहवें संशोधन का समान संरक्षण खण्ड जिसमें किसी व्यक्ति को कानून का समान संरक्षण नकारने से राज्यों को रोका गया है । पन्द्रहवे संशोधन की यह गारंटी कि संघीय सरकार या किसी राज्य द्वारा, मूलवंश या रंग के कारण, नागरिकों का मताधिकार नकारा या न्यून नहीं किया जायगा। उन्‍नीसवां संशोधन जो स्त्रियों के मताधिकार की संरक्षा करता है। ये, और श्रारस्भिक दस संशोधन वास्तव में हमारा अधिकार-पत्र है, क्योंकि ये, या तो संघीय अथवा राज्य सरकारों के विरुद्ध व्यक्ति. के अधिकारों की गारंटी करते हैं । कुल मिलाकर, वेयक्तिक अ्रधिकारों की ये विभिन्‍न प्रत्याभूतियां यह घोषित करती हैं कि हमारे, यानी जनता के, कुछ ऐसे अधिकार हैं जिनका सम्मान राष्ट्रपतियों श्रौर राज्यपालों, कांग्रेस और राज्य विधान-मण्डलों, संघीय ओर स्थानीय अ्रधिकरणों, राजकीय झौर संघीय न्यायाधीशों द्वारा किया जाना अनिवाये है। जॉन लॉक ने दीघेंकाल से चले' आते एक मत को संधिबद्ध किया था कि विधान-मण्डलों की शक्ति को सीमित करना आवश्यक है: “उनकी 1 जब कि जेफरसन ओर मेंडिसन द्वारा तैयार किये गए पहले दस्त संशोधनों ने मूलतः केवल संघीय सरकार पर परिसीमाएँ लगाई थीं, चोदहवां संशोधन अंगीकार करते समय तक एक परिवतेन श्रा गया | जैसा कि हम देखते हैं, मूल अधिकार-पत्र के कुछ प्रबन्ध, न्यायिक-अन्चय के परिणामस्वरूप, चोदह॒वें संशोधन के यथोचिए-अ्रक्रिया ¡ खण्ड वे करण राच्यं प्र भी लागू माने गए |




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