रस साहित्य और समीक्षायें | Ras Sahitya Aur Saiikshaayen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हरिओआरध-साहित्य पर लोक-मत “महाकाव्य के विषय में कुछ कहना छोटे मुंह बड़ी बात है । इसकी रचना करके भ्राप खडी बोली के जनकः के उच्चपद पर आसीन इए हं । जिस भाँति बाबू हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य” के जनक कहलाये, उसी भाँति खड़ी बोली की कविता के विषय में आपका स्थान है। “प्रिय-प्रवास” को पढ़ते-पढ़ते आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगती है। चरित्र-चित्रण की महत्तापूर्ण कुशलता, प्राकृतिक दृश्यों एवं ऋतुओं के वणेन की उत्तमता, कर्तंव्य-पालन, स्वजाति श्रौर स्वदेश एवं देशोद्धार के लिए जीवन उत्सगे करते की दृढता, निर्भीकता, गुरुता, प्रेम-भक्ति ग्रौर योग की उपयोगिता की सुव्याख्यामयी गंभीरता इस महाकाव्य की महोच्वता জী सामग्री हैँ । यह्‌ महाकाव्य भ्रनेक रसों का आवास, विदव-ग्रेम-शिक्षा का विकास, ज्ञान, वैराग्य, भविति ग्रौर प्रेम का प्रकाश, एवं भारतीय वीरता, धीरता, गंभीरतापूरित হন কলা দত স্হান काव्यामृतोच्छवास है 1




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